– ओ.पी. अमृतांशु
रंग – अबिरवा लेके गुललवा
मस्त फगुनवा आईल बा.
केने बाड़ी पुरूवा रानी
पछेया बउराईल बा.
सरसों फुलाइल, लहराइल बा तीसी,
मटर के ढेंढी देखावे बतीसी,
झपड़-झपड़ गेहूमा के बालवा
कचरी पे लोभाइल बा.
मोजरा से रस झर-झर बरसे,
कोइलर – मैनो के मन हरसे,
फुदुकेले फुद-गुदी चिरईयाँ
गुद-गुद-गुदी समाईल बा .
रंग-बिरंगा चुनरिया रंगाईल,
दिल से दिल के गेंठ जोडा़ईल,
नस-नस में उमंग बा आइल
अंग-अंग हूलसाईल बा.
केने बाड़ी पुरवा रानी
पछेया बउराईल बा.
अमृतांशु जी ‘ मस्त फगुनवा ‘ पढ़ के मजा आ गइल.बड़ा निक आ साफ- सुथरा होली के गीत लिक से हट के बा .
धन्यवाद !
केने बाड़ी पुरूवा रानी
पछेया बउराईल बा.’
बहुत – बहुत अच्छा रचना बा .गावं के इयाद तजा हो गइल.
धन्यवाद ! ओ. पी.अमृतांशु जी