विजयादशमी का मौका पर सरसंघचालक मोहन जी भागवत के संदेश

RSS-90YRSआजु विजयादशमी का मौका पर सरसंघचालक मोहन जी भागवत राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के कार्यक्रम में संबोधन देत कहनी कि हिन्दू हिन्दू के मिल के रहला के जरूरत बा आ कवनो तरह के भेदभाव सहला के जरूरत नइखे.

एह कार्यक्रम के सजीव प्रसारण दूरदर्शनो से कइल गइल जवना से पूरा देश के लोग सरसंघचालक के विचार जान सुन सकसु. एह मौका पर प्रमुख अतिथि रहलन डॉ. वी. के. सारस्वत. राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के स्थापना के आजु 90 बरीस पूरा हो गइल. संघ के संस्थापक पू. डॉ. हेडगेवार जी के सपना रहुवे समतायुक्त शोषणमुक्त हिन्दू समाज के सामूहिक उद्यम के बल पर दुनिया में उदाहरण देबे जोग परमवैभव संपन्न भारत बनावे के. एह काम ला उहां के एगो सम्यक संरचना दे गइनी संघ का रुप में. आ आजुले संघ एह काम में लागल बा.

सरसंघचालक जी कहनी कि दू बरीस पहिले जवन निराशा के माहौल बनल रहुवे ऊ अब बिलाए लागल बा. भरोसा करे जोग माहौल बनल शुरु हो गइल बा. सभका लागे लागल बा कि एह बीच दुनिया भर में भारत के प्रतिष्ठा बढ़ल बा. दुनिया भारत के एगो नया रूप में देखे लागल बा. स्वगौरव आ आत्मविश्वास युक्त भारत आजु दृढ़ता का साथ देशहित ला अंतरराष्ट्रीय राजनय में दू टूक बात कहे लागल बा. दुनिया के हर संकट से निपटे में भारत आपन सहजोग देबे लागल बा.

सरसंघचालक जी कहनी कि हमनी के देश के दृष्टि समन्वय आ सहयोग पर बनल बा जवन जीवन के अर्थ-काम प्रधान ना मान के धर्म आ संस्कार प्रधान मानेले. खुशी के बात बा कि देश के विकास सही दिशा में होखे के संकेत मिले लागल बा. बाकिर ई बदलाव अचके में त होखी ना. विरासत में मिलल हालात से उबर के सतह पर आवे में समय त लगबे करी.

सरसंघचालक जी के संबोधन में बतावल गइल कि पाकिस्तान के शत्रुता बुद्धि, चीन के विस्तारवाद, विश्व में बढ़त कट्टरता अउर अहंकार आ अंतरराष्ट्रीय राजनीति के शतरंजी कुचाल से उपजल आतंकवादी इस्लामिक स्टेट के संकट बगैरह का चलते देश के सीमा सुरक्षा आ भितरियो सुरक्षा के समस्या अझुराह आ गंभीर बन गइल बा. बाहरी सत्ता से समर्थित आ बाहरी विचार से प्रेरित आतंकवाद से गुमराह लोग अपनो देश में मिले लागल बा. एह सगरी समस्या के निरसन कइल शासन के जिम्मेदारी बा. सामाजिक, सांस्कृतिक जीवनमूल्यन के पोसल जाव, ओकर क्षरण बंद होखे एह ला नैतिक शिक्षा के सुयोग्य प्रावधान शिक्षा नीति में ले आवल, आ संवाद माध्यमन के आजादी बचावत ओकरा के देशहित का दिशा में काबू मेें राखलो जरुरी बा.

एह देश के हिताहित के दायित्व हिन्दूवने के बा काहे के हिन्दुस्थान देश के भाग्य आ भवितव्य, हिंदू समाज का साथही एकरूप बा. आईं हमनी सभे मिल के एह पवित्र कार्य के सहयोगी कार्यकर्ता स्वयंसेवक बनल जाव.

हिन्दू हिन्दू एक रहें
भेदभाव को नहीं सहे
संघर्षों से दुःखी जगत को
मानवता की शिक्षा दें।।

भारत माता की जय !

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