सब कुछ आ सब केहू बिकाऊ बा एहिजा

– पाण्डेय हरिराम

अबही नीरा राडिया टेप कांड के मसला गर्मे चलत रहल ह आ एकरा में कई जने बड़हन आ आदर्श कहाए वाला मशहूर पत्रकार दलाली करत सुनल गइलें. एही बीच अतवार का रात एगो बहस का दौरान कुछ पोढ़ वक्ता कह दिहलें कि राज्यसभा बाजार बन गइल बिया आ ओकरा के बन्द कर देबे के चाहीं. कुछ समय पहिले संसद में सवाल पूछे का बदला रुपिया देबे लेबे के चरचा सामने आइल रहुवे. कतना आ का का गिनावल जाय. सब देख सुन के इहे लगत बा कि एह देश में हर कुछ बिकाऊ बन गइल बा.

मानत बानी कि ई शब्द बहुते कड़ुआ आ कठोर बा आ सामान्य स्थिति में एह शब्दन से परहेज होखे के चाहीं. बाकिर जहवां प्रजा के रक्षा आ ओकरा के सुशासन देबे खातिर सरकार में भेजल गइल लोग भ्रष्टाचार करे में, ओकरा के लुकावे छिपावे में लागल होखे, आ कलम के सिपाही, जे सरकार से ले के न्यायपालिका आ प्रशासन तक हर क्षेत्र के गलत आचरण पर हमलावर होखे खातिर तइयार होखसु, खुदही दलाली करत पावल जासु त बचाव के राह का बाचीं ?

अंगरेजी के दू गो वरिष्ठ पत्रकारन के टेलीफोनिक बातचीत का बारे में जवन जानकारी सामने आइल बा ऊ चउँकावे वाली बा. राजनीतिक नेतवन का बीच अपना रसूख खातिर मशहूर नीरा राडिया से एह संपादकन के फोन पर बातचीत के जवन अंश सामने आइल बा ओकर लबोलुआब इहे निकलत बा कि संसद में के बोली, कवना बाति पर बोली, केन्द्र में कवन नेता मंत्री बनीहें, कवन पत्रकार अपना स्तंभ में कवन बाति कवना तरीका से उठाई, ई सबकुछ पूंजीपति, उनकर दलाल, नेतवन के हितमित, पत्रकार, आ संपादक तय करेलें. लोकतंत्र के एहले घिनावन रुप अउर का हो सकेला ? ऊ लोग जे पत्रकारिता के आधार मानल जालें, सत्ता का दलाली में गरदन तक डूबल मिलिहें. जवन वरिष्ठ पत्रकार अतना घटिया कर्म में समाइल मिलल बाड़े का उनका के दिहल अलंकरण वापिस ना ले लेबे के चाहीं ?

मौजूदा समय में पत्रकारिता एगो भयावह कुहासा से गुजरत बिया. बाजार, विज्ञापन, आ ढेर पइसा कमाये के लालसा का चलते संपादकन के हटावल जा रहल बा आ ओह लोग का जगहा मार्केटिंग वालन के लगावल जा रहल बा. पेड न्यूज का बाद राजनेतवन से नेटवर्किंग करत कार्पोरेट जगत संसद आ मंत्रिमण्डल तक के नियन्त्रित करे लागल बा. गलत काम कतहीं होखो ओकरा के बरदाश्त ना करे के चाहीं. कर्नाटक का मसला पर कांग्रेसो कुछ तर्क दे रहल बिया. ओह संदेहन के जाँच होखे के चाहीं बाकिर येदियुरप्पा के थैलीशाहन आ पेड न्यूज के शिकारो ना बने देबे के चाहीं.

मौजूदा भारत अफ्रीका के कवनो नवजात आ भ्रष्ट समाज के दर्शन करावत बा जहवाँ कवनो क्षेत्र में ईमानदारी बांचले ना होखे. हालही के कुछ नमूना देख लीं. साठ से सत्तर हजार करोड़ के कामनवेल्थ गेम्स घोटाला, जवना में प्रधानमंत्री कार्यालय से ले के दिल्ली सरकार तक ले शक का दायरा में बा, टूजी स्पैक्ट्रम घोटाला एक लाख एकहत्तर हजार करोड़ के बा, मुंबई के आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला जवन कारगिल के शहीदन के यादगारी के अपमान कर दिहले बा. आ जब विपक्ष एह सब घोटाला के संयुक्त संसदीय समिति से जाँच करावे के माँग करत बा त सरकार ओहिजा से ध्यान हटावे का कोशिश में लागल बिया.

मानत बानी कि कवनो तरह के माँग लेके संसद के कार्यवाही में अड़ंगा लगावल संसदीय परम्परा आ संसदीय कामकाज के दायित्व के उल्लंघन होला. बाकिर जब देश अपना राजनेतवन पर भयंकर अविश्वास का दौर से गुजरत होखो त दोसर कवनो तरीका बाचतो नइखे. सरकारी पक्ष त भ्रष्टाचार का मुद्दा पर विपक्ष के नेतवन के बोलहू नइखे देत. संसदीय जाँच समिति का दायरा में पत्रकारन से नीरा राडिया के मसलो आ सकेला जवना से कि पता चलो कि बड़हन बड़हन संपादक आ मीडिया घराना सत्ता के समीकरण कइसे तय करेलें.

हमनी का अपना लोकतंत्र का शान में गौरव गान करीलें जवन कि सहियो बा बाकिर ई कइसन लोकतंत्र हऽ जहाँ एक ओरि त देश ९ से १० फीसदी के विकास दर छूवत बा त दोसरा ओरि चालीस फीसदी लोग रोजाना बीसो रुपिया से कम में गुजारा करे ला अभिशप्त बाड़े. एक ओर चुनाव सुधार आ राजनीतिक ईमानदारी पर सेमिनार होखेला त दोसरा ओर जनता के धन लूट के स्विस बैंकन में सत्तर लाख करोड़ करिया धन जमा करावे वालन में देश के राजनेता आ उद्योगपतियन के नाम होला. जवन संसद अइसनका कुकर्मियन के, जे देश के माटी का साथ गद्दारी करत संविधान आ जनता के मजाक बनावस, बचावे में लागल होखो ओह संसद के बेकार आ नाकामयाबे कहल जाई.


पाण्डेय हरिराम जी कोलकाता से प्रकाशित होखे वाला लोकप्रिय हिन्दी अखबार “सन्मार्ग” के संपादक हईं आ ई लेख उहाँ का अपना ब्लॉग पर हिन्दी में लिखले बानी. अँजोरिया के नीति हमेशा से रहल बा कि दोसरा भाषा में लिखल सामग्री के भोजपुरी अनुवाद समय समय पर पाठकन के परोसल जाव आ ओहि नीति का तहत इहो लेख दिहल जा रहल बा.अनुवाद के अशुद्धि खातिर अँजोरिये जिम्मेवार होखी.

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