सुप्रीम कोर्ट साफ बता दिहलसि कि जम्मू कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 का सहारे मिलल विशेष दर्जा रद्द करे वाला गोहारन पर ओकर दीहल फैसला एकदम सही रहल आ ओकरा पर फेर से विचार कइला के कवनो जरुरत नइखे.
जान जाईं कि पिछला साल 2023 दिसम्बर में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश संजय किशन कौल, न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायाधीश बीआर गवई, आ न्यायाधीश सूर्यकान्त के पीठ 370 हटावे के फैसला संविधान सम्मत बतवले रहुवे. एह फैसला से विघ्नसंतोषियन के सपना पर कूड़ा डला गइल रहल.
एकरा बावजूद ऊ सब सोचलें कि मामिला के कउर बुताए मत दीहल राव आ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डाल दिहले सँ. सोचले होखिहें सँ कि लोकसभा चुनाव का लगभीर में अगर अदालत के फैसला बदल के आ जाव त ओहनी के पौबारह हो जाई.
अब मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायाधीश सूर्यकांत अउर न्यायाधीश एएस बोपन्ना के पीठ सगरी समीक्षा याचिका खारिज कर दिहलसि. पीठ के कहना बा कि 11 दिसंबर, 2023 का दिने दीहल फैसला पर फेर से विचार कइला के कवनो जरुरते नइखे.
जान जाईं कि पना फैसला में अदालत कहला रहुवे कि भारत संघ में शामिल होखत घरी जम्मू कश्मीर का लगे कवनो संप्रभुता ना रहल. राज्य के बाँट के ओकरा के दू गो केन्द्र शासित प्रदेश बनवलो में कही कवनो गलती ना रहल. हालांकि अदालत जम्मू कश्मीर में विधानसभा का चुनाव जल्दी से जल्दी हो जाए के चाहीं.
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