नई दिल्ली, 20 मार्च. हिन्दी के समकालीन कविता आ आलोचना के बेंवतगर हस्ताक्षर डॉ. केदारनाथ सिंह के सोमार का दिने दिल्ली के एम्स में गंगालाभ हो गइल. बतावल जात बा कि डेढ़ महीना पहिले डॉ. केदारनाथ सिंह के कोलकाता में निमोनिया हो गइल रहुवे. ओकरा बादे से ऊ बीमार रहत रहलें आ पेट के संक्रमण का चलते सोमार का राति करीब पौने नौ बजे उनुकर निधन हो गइल.
बलिया के चकिया गाँव के एगो किसान परिवार में जनमल डॉ. केदारनाथ सिंह 84 बरीस के रहलें आ उनुका एगो बेटा आ पाँच गो बेटी बाड़ी सँ.
आजु मंगल का दिने उनुकर आखिरी संस्कार उपरी बेरा तीन बजे दिल्ली के लोधी रोड श्मशान भूमि में कइल जाई.
वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह हिंदी के अइसन चुनिंदा कवियन में रहलें जिनकर रचनन के दुनिया के तमाम भाषावन में अनुवाद भइल. ऊ हिंदी में लिखत रहलें, दुनियाभर में पढ़ात रहलें बाकिर आपना माईभाषा भोजपुरी के कबो ना बिसरवलें.
केदारनाथ सिंह के बनारस आ बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से खास नाता रहल. शुरुआती पढ़ाई के छोड़ दीं त उनुकर सगरी पढ़ाई बनारसे में भइल. एहिजे उनुका त्रिलोचन आ नामवर सिंह जइसन दिग्गज साहित्यकारन के साथ मिलल. सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय केदार नाथ सिंह के कवितन के संकलन तीसरा सप्तक में प्रकाशित कइलें रहलें.
वाराणसी, गोरखपुर, पडरौना आ दिल्ली में अध्यापन कइला का बाद 1976 से 1999 ले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा केंद्र में अध्यापन कइलें आ एहिजे एसोसिएट प्रोफेसर बनलें.
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