न्यायपालिका के मनमानी

न्यायपालिका के मनमानी

भारत के न्यायपालिका जइसन मनमानी दुनिया के कवनो देश के न्यायपालिका ना करे.

भारत में कहल जाला कि सरकार केकरो होखे तन्त्र हमनिये के रही. अमेरिका के डीप स्टेट से बेसी खतरनाक डीप स्टेट भारत में बा आ एकर सबले बड़का संंरक्षक न्यायपालिका बन के बइठल बिया.

कांग्रेसी राज में न्यायाधीशन के बहाली केन्द्र सरकार करत रहुवे आ ओकरे लगुआ भगुअन से भरल रहत रहुवे एहिजा के न्यायपालिका. इहां ले कि एक बेर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अइसन आदमी के बना दीहल गइल रहुवे जे कानून के पढ़ाई कबो कइलहीं ना रहुवे. के.एन. वांचू 11 अप्रैल 1967 से 25 फरवरी 1968 तक साढ़े दस महीना ले सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद पर बइठावल गइल रहलन. अब सोचीं कि ई बेहयाई कवना सरकार का तहत भइल रहुवे !

फरवरी 1967 में भइल चुनाव का बाद इंदिरा गांधी 13 मार्च का दिने फेर से पीएम पद के किरिया लिहले रहली. उनुके सरकार का दौरान ई नायाब कारनामा भइल रहल जब एगो आईएएस अधिकारी के न्यायाधीश बना दीहल गइल. शायद एह चलते कि ऊ कश्मीरी पंडित रहलन आ हो सकेला कि दूर दराज के रिश्तेदारी निकलत होखे नेहरू परिवार से. इलाहाबाद में जनमल वांचू मध्यप्रदेश के नवगांव से प्राइमरी, कानपुर से मिडिल स्कूल का बाद इलाहाबाद से स्नातक बनला का बाद दिसम्बर 1926 में इनकर नौकरी के शुरुआत ज्वायंट मजिस्ट्रेट का पद पर बहाली से भइल रहल. सुप्रीम कोर्ट मेंं न्यायाधीश बनला का बाद वांचू 355 गो फैसला लिखलन आ 1286 गो बेंच में बइठल रहलन.

फोटो स्रोत : Supreme Court of India, GODL-India, via Wikimedia Commons

संविधान के मूल स्वरुप के रक्षा करे के दावा करे वाली न्यायपालिका संविधान के दायरा से बाहर जा के जजन के बहाली के एगो नया सिस्टम बना लिहलसि. दुनिया के कवनो देश में अइसन व्यवस्था नइखे. आ ई लोग अपना के सभका ले ऊपर माने लागल बा. बस हिरण्यकश्यपु का तरह अबहीं ले ई लोग अपना के भगवान घोषित नइखे कइले. जवन राष्ट्रपति एह लोग के नियुक्ति करे के औपचारिकता निभावेलें ई लोग उनुको पर हुकुम चलावल शुरु कर दिहले बा.

कोलेजियम के शुरुआत साल 1993 में भइल जब साफ होखे लागल रहुवे कि कांग्रेसी शासन के दिन खतम होखे वाला बा. त तंत्र पर नियन्त्रण राखे खातिर भारत के डीप स्टेट अइसन व्यवस्था कर दिहलसि जवना से सरकार केहू के बने मनमानी कांग्रसियन के चलल करे.

देश के सगरी समस्या के जड़ में कहीं ना कहीं न्यायपालिका के भागीदारी बावे ई कहल गलत ना होखी. काहें कि ई लोग मनमाना तरीका से कानून के व्याख्या करे लागल बा. एकही तरह के मामिला में एह लोग के दोगला फैसला आए दिन देखे के मिलत रहेला. एगो खास व्यव्स्था से एह न्यायतंत्र के जुड़ाव जगजाहिर बा.

जब देश में आपातकाल लगावल गइल त एह लोग के मुंह से बकार ना निकलल. जब संविधान के प्रस्तावना बदल दीहल गइल तब संविधान के मूल स्वरुप मे कवनो बदलाव एह आन्हरन के ना लउकल. न्यायपालिका के मनमानी अब बेहयाई के हर सीमा पार करे लागल बा. जज चाहे कतनो भठियारा होखे ओकरा खिलाफ कवनो मुकदमा ना चलावल जा सके. ओकरा घरे से नोट के बोरा जरावे के खबर आवे तबहियो ओह जज का खिलाफ कवनो कार्रवाई ना कइल जा सके. महाभियोग के व्यवस्था अतना जटिल बना के राख दिहल गइल बा कि आसान ना होखे कवनो जज पर महाभियोग चलावल. आजु ले कवनो जज का खिलाफ देश में महाभियोग नइखे सफल भइल. आ अब त एक तरह से धिरावल जा रहल बा कि जजन के हटावे ला महाभियोग के रास्ता निकालल गलत होखी आ असंभव नइखे कि न्यायपालिका कह देव कि जज का खिलाफ महाभियोग चलावले ना जा सके.

देश के हर भठियारा, हर अपराधी आश्वस्त रहेला कि ओकर कुछऊ नइखे बिगड़े वाला. या त ओकरा के जमानत दे दीहल जाई भा केस के सुनवाई कवनो ना कवनो बहाने एह तरह से लटका दीहल जाई कि न्याय लउकी त बाकि ठेकी ना !

आशा कइल बेकार बा कि कवनो दिन न्यायपालिका के एह मनमानी पर शिकंजा कसा सकी. अबहीं त मुख्य न्यायाधीश ई बता के जालें कि हमरा बाद के बनी मुख्य न्यायाधीश. अगर कोलेजियम चलत रहल, आ चलते रही, त एक दिन इहो फैसला हो सकेला कि जज के बेटे बेटी के जज बनावल जा सकेला. बाकी लोग जज बने के अर्हता ना पूरा करे. काहे कि जज का परिवार में जनमल हर बच्चा जनमला का बादे से हर दिन न्यायाधीश के व्यवहार देखत आइल बा आ एहसे न्यायाधीश बनावे ला ऊहे सही व्यक्ति रही.

0 Comments