Category: पुस्तक चर्चा

फागुनः दू गो गीत

(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 20वी प्रस्तुति) – कमलेश राय एक अंग-अंग मिसिरी में बोर गइल फागुन रस घेर गइल! पतझर के पीरा के हियरा से बिसरा के थिरकि उठल बगियन में गांछ-गांछ अगरा के डाढि आज सगरी लरकोर भइल!...

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भोजपुरी खातिर समर्पित त्रैमासिक पत्रिका भोजपुरी जिन्दगी के नयका अंक

अतिथि संपादक के कलम से… भारत के सामाजिक व्यवस्था एगो अइसन अत्याधुनिक व्यवस्था बा जेकरा चलते आजो इ देश के वंचित समाज घोर कष्ट में जीवन जीये खातिर बाध्य बा. जाति व्यवस्था, जेकरा ऊपर धरम के मोहर लागल बा, उ ‘कैंसर’ जइसन भयानक...

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जानकारी चाहीं

भारत के समाचार पत्र निबंधक के कार्यालय से मिलल जानकारी का हिसाब से देश में भोजपुरी के तैंतीस गो प्रकाशन पंजीकृत बाड़ी सँ. भोजपुरी प्रकाशन के एगो सामूहिक मंच दिलावे खातिर सोचत बानी कि एह सगरी पत्र पत्रिका के प्रकाशक, संपादक आ...

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सन्मार्ग से प्रकाशित "कही अनकही" आ "जुगेसर" के लोकार्पण

‘ हिन्दी में सम्पादकीय की परम्परा खत्म हो रही है. साहित्य और पत्रकारिता एक दूसरे से विछिन्न हो रहे हैं, वहीं अखबार दैनिक साहित्य है जो जितना कालातीत होता है उतना ही तात्कालिक भी होता है. अखबार तात्कालिकता का आईना है.’ ई कहना रहे...

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रिगवनी

(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 19वी प्रस्तुति) – अनन्त प्रसाद ‘रामभरोसे’ भोजपुरिहा कतनो परेशानी में रहिहन, मोका पावते केहू से हँसी-मजाक करे से बाज ना अइहन. केहू के रिगावल आ रिगला पर लिहाड़ी लिहल, एने का लोगन...

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🤖 अंजोरिया में ChatGPT के सहयोग

अंजोरिया पर कुछ तकनीकी, लेखन आ सुझाव में ChatGPT के मदद लिहल गइल बा – ई OpenAI के एगो उन्नत भाषा मॉडल ह, जवन विचार, अनुवाद, लेख-संरचना आ रचनात्मकता में मददगार साबित भइल बा।

🌐 ChatGPT से खुद बातचीत करीं – आ देखीं ई कइसे रउरो रचना में मदद कर सकेला।