Category: उपन्यास

लोक कवि अब गाते नहीं – ६

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) पँचवा कड़ी में रउरा पढ़ले रहीं कि लोक कवि के तरह अपना ग्रुप का लड़िकियन का साथे बेवहार करत रहले. पतन का राह पर गँवे गँवे छिछिलात बिछिलात गिरल जात रहले. उनका...

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लोक कवि अब गाते नहीं – ५

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) चउथा कड़ी में रउरा पढ़ले रहीं कि दुबे जी जवन खतरा बरीसन पहिले भाँप लिहले रहले ओही खतरा के भँवर अब लोक कवि के लीलत रहुवे. बाकिर बीच-बीच के विदेशी दौरा, कार्यक्रमन...

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लोक कवि अब गाते नहीं – ४

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) तिसरका कड़ी से आगे….. कहल जाला कि अर्जुन द्रोपदी के एहीसे जीत पवले कि उनुका बस मछरी के आँख लउकत रहे. जबकि बाकी योद्धा पूरा मछरी देखत रहले आ एह चलते मछरी...

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लोक कवि अब गाते नहीं – ३

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) दुसरका कड़ी से आगे….. बाजार में लोककवि के कैसेटन के बहार रहे आ उनुकर म्यूजिकल पार्टी चारो ओर छवले रहे. उनुकर नाम बिकाव. गरज ई कि ऊ “मार्केट”...

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लोक कवि अब गाते नहीं (२)

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) पहिलका कड़ी से आगे….. बाकिर लोक कवि के दायरा अब बढ़े लागल रहे. सरकारी, गैर-सरकारी कार्यक्रमन में त उनुकर दुकान चलिये निकलल रहे, चुनावी बयारो में उनुकर...

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