Category: उपन्यास

लोक कवि अब गाते नहीं – १८

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) सतरहवाँ कड़ी में रउरा पढ़त रहलीं मीनू का बारे में. कि कइसे ओकरा गवनई का स्टाइल में लोग आपन आपा भुला जाव. अब ओहसे आगा पढ़ीं….. एक बेर त अजबे हो गइल. कुछ...

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भोजपुरी उपन्यास "जुगेसर" – 5

– हरेन्द्र कुमार पाण्डेय अबले जवन पढ़नी ओकरा आगे …) घर का फोन में एसटीडी रहे. पूजा नम्बर मिलावे लगली. दूनो बच्चा दूर पलंग पर बैठ के शून्य में निहारे लगले. विपत्ति महसूस करेके क्षमता बच्चन में बड़कन से अधिके होला. बहुते...

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आवऽ लवटि चलीं जा – (2)

– डा॰अशोक द्विवेदी अबले जवन पढ़नी तवना से आगा गाड़ी में मोटरी-गठरी लेले पनवा, बीरा का बगल में बइठल रहे. ओकरा भीतर एगो नया सँसार के सपना कुनमुनात रहे. बीरा ओ सपना से अलग कुछ दूसरे सोचत रहलन. उनका दिमाग में गाँव-जवार के उपहास...

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भोजपुरी उपन्यास "जुगेसर" – 4

– हरेन्द्र कुमार पाण्डेय अबले जवन पढ़नी ओकरा आगे …) मुजफ्फरपुर इमलीचट्टी होके ऊ यूनिवर्सिटी पहुंचलन. उहां केमिस्ट्री विभाग में गइलन. विभागाध्यक्ष के कमरा बंद रहे. ऊ अर्दली से पुछलन – ‘डॉ.शाही ?’...

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