Tag: गज़ल

गज़ल

– डा0 अशोक द्विवेदी हुक्मरानन का खुशी पर फेरु मिट जाई समाज अपना अपना घर का आगा, खोन ली खाई समाज । कर चुकल बा आदमी तय सफर लाखन कोस के घूम फिर के कुछ समय में, का उहें आई समाज ? जुल्म से भा जबरजस्ती ना बसे बस्ती कहीं बसी त...

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गज़ल : उरुवा लिखीं, उजबक लिखीं कि बेहया लिखीं

– डा0 अशोक द्विवेदी एह बेशरम-अनेति पर अउँजा के, का लिखीं उरुवा लिखीं, उजबक लिखीं कि बेहया लिखीं लंपट आ नीच लोग बा इहवाँ गिरोहबन्द सोझबक शरीफ के बा बहुत दुरदसा लिखीं लँगटे-उघार देहि से, दिल से दिमाग से अइसनका लोग ढेर बा,अब...

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गज़ल

– डा0 अशोक द्विवेदी नेह-छोह रस-पागल बोली उड़ल गाँव के हँसी-ठिठोली. घर- घर मंगल बाँटे वाली कहाँ गइल चिरइन के बोली. सुधियन में अजिया उभरेली जतने मयगर, ओतने भोली. दइब क लीला-दीठि निराली दुख- सुख खेलें आँख मिचोली. हिलल पात,...

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गज़ल

– शशि प्रेमदेव जेकरा पर इलजाम रहल कि गाँछी इहे उजरले बा! फल का आस में सबसे पहिले ऊहे फाँड़ पसरले बा! दूर से ऊ अँखियन के एतना रसगर लगल, लुभा गइलीं हाथ में जब आइल त देखलीं कउवा ठोढ़ रगड़ले बा. प्यार से बढ़ि के दोसर कवनो ताकत...

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