Tag: जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

हेराइल आपन गाँव

– जयशंकर प्रसाद द्विवेदी कोइला से पटरी पचरल ले के शीशी घोटल सांझी खानि घरे मे माई ले रगड़ के मुंहो पोछल बा के इहवाँ जे दुलराइल नइखे । माई के झिड़की खातिर माटी मे सउनाइल खाड़ हँसे बाबूजी बबुआ बा भकुयाइल अब्बो ले भुलाइल नइखे ।...

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फगुनवा मे

– जयशंकर प्रसाद द्विवेदी बियहल तिरिया के मातल नयनवा, फगुनवा में ॥ पियवा करवलस ना गवनवां, फगुनवा में ॥ सगरी सहेलिया कुल्हि भुलनी नइहरा । हमही बिहउती सम्हारत बानी अँचरा । नीक लागे न भवनवा, फगुनवा में ॥ पियवा ….....

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होरी आइल बा आ खुलल मुँह बा : 2 गो कविता

– जयशंकर प्रसाद द्विवेदी होरी आइल बा जरत देश बा-धू धू कईके सद्बुद्धि बिलाइल बा. कइसे कहीं कि होरी आइल बा. चंद फितरती लोग बिगाड़ें मनई इनकर नियत न ताड़ें मगज मराइल ए बेरा मे भा कवनों चुरइल समाइल बा. कइसे कहीं कि होरी आइल बा....

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भकुआइल बबुआ

– जयशंकर प्रसाद द्विवेदी माटी के थाती छोड़ी जब से पराइल बा, नीमन बबुआ तभिए से भकुआइल बा ॥ जिनगी के अहार न विचार परसार टुटल घर आ दुआर बहत दुखे के बेयार । सोगहग नहीं कुछो कुल्हिए पिसाइल बा ॥ नीमन बबुआ….. हसी ठठा गइल...

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बाबूजी बहुते कुछ समुझवनी ह

– जयशंकर प्रसाद द्विवेदी आजु हमरा के नियरा बईठा के बाबूजी बहुते कुछ समुझवनी ह । दुनियाँ – समाज के रहन सभ हमरा के विस्तार मे बतवनी ह ॥ बाबूजी बहुते कुछ…. राजनीति के रहतब-करतब एने-ओने के ताक-झाँक बोली-ठिठोली के मतलबो आ...

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