Tag: बालेश्वर

मूरख मिले बलेस्सर पढ़ा लिखा गद्दार ना मिले

(9 जनवरी के पहिला पुण्य तिथि पर) बालेश्वर के बिना एक साल – दयानंद पांडेय बालेश्वर के बिना ई एक बरीस बहुते चुभन का साथे बीतल. दोस्ती त इयाद आइबे करेले. हर भिनुसहरा, हर सँझिया याद आवेले. बाकिर एह साल एतना सगरी नया घटना भइली...

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एह नयका सदी में भोजपुरी गीत गवनई

जे केहू से नाईं हारल ते हारि गइल अपने से अपने से केहू आपन खुद नाश कै रहल बा. – दयानंद पांडेय ‘तोहरे बर्फी ले मीठ मोर लबाही मितवा’ जयश्री यादव के एह गीत का तरहे कहीं त भोजपुरी गीतन में मिठास के इहे परंपरा ओकरा...

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देख नयन भरि आइल सजनी

बिरहा भवन से लवटि के – दयानंद पांडेय आजुवे बिरहा भवन से लवटल बानी. दुख, कोहरा, आ धुंध में लपटाइल बिरहा भवन के छोड के. शीत में नहात. बिरहा भवन मतलब बालेश्वर के घर. जे मऊ ज़िला के चचाईपार गाँव में बा. कल्पनाथ राय रोड पर....

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