Tag: लस्टम पस्टम

दिल्ली के मेट्रो

– जयन्ती पाण्डेय पिछला दिने लस्टमानन्द दिल्ली गइल रहलन. का कहीं का नजारा रहे. जब से दिल्ली में मेट्रो रेलगाड़ी चले लागल तबसे ओहिजा का लोगन का जिनिगी में बहार आ गइल बा. कालेज जाये वाली बबुनी के रोमांस करे के एगो नया जगहा...

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पत्थर के देश में पत्थर के लोग

– जयन्ती पाण्डे रउआ कहीं चल जाईं, भारत के कवनो कोना में. सब जगहा रउआ पत्थर दिल के लोग भेंटाई. आखिर काहें ना? जेकरा पर जिम्मेदारी बा कि ऊ सबके आदमी बनाई. ओकरो दिमाग में पत्थरे भर गइल बा. हँ, बात मास्टर लोग के कइल जाता. आज...

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अमीरी के नया शौक

– जयन्ती पाण्डे वइसे त कलकत्ता शहर के बड़ाबाजार के सेठ अमीरचंद का लगे बहुत दौलत रह, करिया आ सफेद दूनो. कारोबारो कई गो रहे. जायज कम आ नाजायज बेसी. धन रहे त नाँवो रहे चारू ओर. समाज में रुतबा रहे. तबो अमरचंद के बुझाव कि कवनो...

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खजाना कहाँ रहेला

– जयन्ती पाण्डे बाबा लस्टमानंद से राम चेला पूछलें कि बाबा हो, लक्ष्मी के भंडार, माने जे सरकार के खजाना कहल जाला ऊ असल में कहाँ रहेला? महँगाई में सबसिडी देबे के होला त सरकार अंगूठा देखा के कह देले कि खजाना खाली बा, कहाँ से...

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