केसर के गंध लेके पुरवा चलल रहे
(स्मरण – आचार्य गणेशदत्त ‘किरण’) (पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 8वी प्रस्तुति) – प्रभाष कुमार चतुर्वेदी (आखिरी पाँच बरिस) कविता केसर का गंध जइसन मादक आ पागल बनावे वाली होले. कवि के रचना पर कवि अपना आ...
Read More