बतकुच्चन – ६६-६८
बतकुच्चन – ६६ सोमार के बरखा त बरखल बाकिर अबहीं लर नइखे लागल. लर के मतलब त होला रसरी, सूतरी भा धागा बाकिर एकरा के निरंतरता भा लगातार होखे-बोले वाला बातो खातिर इस्तेमाल कइल जाला. का लर ध लिहले बाड़, एके बात के? जइसे कि पिछला...
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