बतकुच्चन – ३५
बाँझ का जनिहें प्रसवती के पीड़ा ? बच्चा जने में होखे वाला दरद ओही औरत के समुझ में आ सकेला जे कबो खुद बच्चा जनले होखे. बूझेले चिलम जिनका पर चढ़ेला अँगारी. जे हालात के गरमी झेलेला ओकरे ओकर पीड़ा बुझाला. भोजपुरी के ई दुनु कहाउत आजु एह...
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