तस्वीर जिन्दगी के
भोजपुरी गजल संग्रह
मनोज "भावुक"
समर्पण
आचार्य पाण्डेय कपिल आ कविवर जगन्नाथ के
माथ पर गुरुद्वय जो राउर हाथ ना रहित
आज हमरा पास ई अवकात ना रहित
रउरे से सिखले हईं, कलम धरे के लूर
रउरे के सउँपत हईं, आपन गजल हजूर
- मनोज
माटी की गंध में लिपटी कविता : माहेश्वर तिवारी
गजलकार के उद्गार : मनोज "भावुक"
चिचिरी के हाल : डाo रमाशंकर श्रीवास्तव
गजलन के अनुक्रम
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