– राजेश भोजपुरिया
कहल जाला कि भोजपुरिया अपना हक के भीख ना मांगे, ऊ आपन हक छीन के ले लेला. कहवां भुला गइल बा भोजपुरिया के ऊ तेवर आ ऊ मिजाज,जवन ऊ अपना लउर आ तेगा के बल पर बनवले रहे. दोसरा के संगे होत अन्याय के देख के जे आपन सब कुछ दाव पर लगा देत रहे, का हो गइल बा ओकरा कि ऊ खुद अपना ऊपर होत अन्याय आ अनाचार के लगातार बरदाश्त कर रहल बा ?
ई ना चली. भोजपुरिया के जागे के पड़ी, उठे के पड़ी. ओकरा अपना आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक आ भाषिक हक के लड़ाई लड़े के पड़ी. सरकार चाहे ऊ कवनो होखे ओकरा आँख में अँगुरी क के ई बतावहीं के पड़ी कि एह देश के सबसे बड़ भाषा के बोले वाला 25 करोड़ लोगन के अपमान क के ई देश ना त विकास कर सकत बा ना एक रह सकत बा.
केतने छोट-छोट भाषा सभन के सरकार आ साहित्य अकादमी राजनीतिक कारण से मान्यता दे दिहलस आ भोजपुरी ताकते रह गइल. ( संपादक अंजोरिया के कहना बा कि एकरा ला भोजपुरी इलाका के हिन्दी साहित्यकार दोषा बाड़न.) सामाजिक न्याय के मसीहा लोग आँख मूंद के एह सबसे बड़ सामाजिक अन्याय के सहत रह गइल. संसद में दर्जनो भोजपुरी भाषी सांसद बाड़न बाकिर केहु के मुंह से भोजपुरी शब्द के उच्चारण तकले नइखे होत. हाय रे भोजपुरी के सुलाखन सपूत लोग. ई त हद हो गइल.
लगातार धरना प्रदर्शन होत रहे, भोजपुरिया सांसद आ विधायक लोग के घेराव होखे. कहल जाला कि जवन लड़िका ना रोवे,ओकरा के महतारियो दूध ना पियावे. आवाज बुलंद करी सभे भोजपुरी के. आउर भाषा के लोग आवाज उठा रहल बा. भोजपुरिया अतना खामोश काहे?जब सब कुछ स्वाहा हो जाई त जागिये के का फायदा होई.
अगर अबहियो ले भोजपुरिया ना जागी त कई एक गो भाषा आपन हक पा ली आ भोजपुरी देश के एकता आ अखंडता के नाम पर बलि चढ़ा दिहल जाई. अगर रउआ में तनिको अपना अस्मिता,अपना पहिचान आ गौरव के भाव बा, एकरा से तनिको सरोकार बा, रउआ एकदम से मुर्दा नइखी हो गइल, त भोजपुरी आंदोलन के धारदार बनाई, जेमे आवे वाला पीढ़ी रउआ के गरियावे मत. सरकारी अधिकारी बनल लोग कबले अपना महतारी के भदेसपन का नाँव पर अपमानित करत रही ? माई त माइये होली. ओकरा हक आ मान सम्मान के रक्षा ना करके कपुते कहाये खातिर काहे आ कबले रउआ कुतर्क देत रहब. उठीं, जागीं, सचेत होईं आ अपना अस्तित्व के रक्षा खातिर जवन सम्भव हो सके करीं. आ जे एह दिसाई कुछ कर रहल बा ओकर मदद करी, समर्थन करीं, ओकरा सहयोग करीं – तन,मन आ धनो से . आ गर्व से बोलीं हम भोजपुरिया हई, भारतीयता के सबसे बड़ रक्षक भोजपुरिया ! बोलीं जय भोजपुरी !
(राजेश भोजपुरीया “भोजपुरी जन जागरण अभियान” संस्था के राष्ट्रीय संयोजक हईं.)
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