– आशुतोष कुमार सिंह
भोजपुरी बोले वालन के एह देश आ दुनिया में कमी नइखे, बाकिर भोजपुरी लिखे वालन के बहुते कमी बा. जब ले कवनो भासा के बोले के संगे-संगे लिखल ना जाई ओकर विस्तार ना होखेला. अउर शायद इहे कारण बा कि आज भोजपुरी के जवन सम्मान मिले के चाहीं ऊ नइखे मिलल. बाकिर एकरा बादो आज भोजपुरी के स्थिति में लगातार सुधार हो रहल बा. भोजपुरी के पढ़ाइयो देश-दुनिया में कई जगह शुरू हो चुकल बा. भोजपुरी भासा के एह रफ्तार में पंख ओह बेरा लाग गइल जब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय(इग्नू) भोजपुरी भासा में फाउंडेसन कोर्स शुरू कइलस.
एतना बड़ विश्वविद्यालय भोजपुरी भासा के पढ़ाई शुरू कइले बा, ई खबर जान के निश्चित रूप से भोजपुरी भासियन के खुशी होई. भोजपुरी बिहार अउर उत्तर प्रदेश के अधिकांश भू-भाग के समृद्ध भासा हिय. ई स्वतंत्र व्यापक, जीवंत आ हजारन बरिस से प्रवाहमान साहित्यिक भासा हिय. शायद इहे कारण बा कि इग्नू भोजपुरी भासा खातिर ‘आधार पाठ्यक्रम’ के परिकल्पना कइलस आ अब ओकरा के साकार क रहल बिया. आज हम इग्नू में पढ़ावल जा रहल एह पाठ्यक्रम के बारे में रउआ सब से बतियाइब.
एह पाठ्यक्रम के चार खंडन में विभाजित कइल गइल बा, अउर चारों खंड के चार-चार गो ईकाइयन में बांटल गइल बा. पहिला खंड में भोजपुरी के सांस्कृतिक परिवेश आ भासा-तत्व बोध के बारे में बतावल गइल बा. संगे-संगे भोजपुरी के महान व्यक्तित्व, जइसे देश के पहिला राष्ट्रपति डॉ.राजेन्द्र प्रसाद आ कुंवर सिंह सहित कई लोगन, के बारे में बतावल गइल बा. एह खंड के इकाई 2 में भासा आ लिपि के बारे में विस्तार से बतावल गइल बा. इकाई 3 में व्याकरण सिखावल गइल बा. इकाई चार में भोजपुरी साहित्य के इतिहास से लेके वर्तमान तक के यात्रा के वर्णन कइल गइल बा. ओहिजा दोसरा खंड, जवना के नाम ‘साहित्यिक आस्वाद’ रखल गइल बा, के पहिला इकाई (ओइसे पांचवा) कविता के नामे समर्पित बा. जवना में महावीर प्रसाद द्विवेदी के सरस्वती पत्रिका में 1914 में छपल हीरा डोम के ‘अछूत की शिकायत’ कविता आ रघुबीर नारायण के बटोहिया के अंश सहित कई गो महत्वपूर्ण कविता के शामिल कइल गइल बा. इकाई 6 में जहवां कथा-कहानी पढ़ावल जा रहल बा, ओहिजा इकाई 7 में निबंध परोसल गइल बा. इकाई 8 में एकांकी के दर्शन होखत बा, जवना में भिखारी ठाकुर के (गबरघिचोर) आ राहुल सांकृत्यायन के (मेहरारून के दुर्दशा) के शामिल कइल गइल बा. खंड तीन में भोजपुरी के व्यावहारिक पक्ष प ध्यान दिहल गइल बा. जवना के तहत इकाई 9 में जहवां पाती के अलग-अलग रूपन में लिखे के बतावल गइल बा ओहिजा दोसर ओर इकाई 10 में संक्षेपण, भाव पल्लवन आ निबंध लेखन प जोर दिहल गइल बा. इकाई 11 में अनुवाद त इकाई 12 में संवाद शैली कइसे निखरी ई बतावल गइल बा. अंतिम खंड में अलग-अलग विषय प चरचा कइल गइल बा. इकाई 13 में संप्रेषण शैली त इकाई 14 में भोजपुरी लोक कला आ इकाई 15 में भोजपुरी मीडिया के सामान्य परिचय दिहल गइल बा. सबसे अंत में व्यावहारिक आ पारिभाषिक शब्दावलियन के बारे में बतावल गइल बा.
स्नातक स्तर प दाखिला लेवे वाला छात्र भोजपुरी के आधुनिक भारतीय भाषा समूह (मॉडर्न इंडियन लैगवेजज) में से एगो विषय के रूप में ले सकेलन. ई पाठ्यक्रम पिछला साल से शुरू भइल बा.
एह पाठ्यक्रम के संयोजक प्रो. शत्रुध्न कुमार बाड़े. प्रो. कुमार के भोजपुरी से बहुत लगाव आ प्यार रहल बा. आ इहे कारण बा कि उनकर सघर्ष रंग ले आइल आ भोजपुरी पाठ्यक्रम के इग्नू जइसन विश्वविद्यालय में एगो भासा के रूप में पढ़ावे के अनुमति मिलल. भोजपुरी के ई समान्न दियावे में प्रो. कुमार के बहुते कठिनाइयन के सामना करे के पड़ल. बाकिर प्रो. कुमार के शब्दन में इग्नू के उपकुलपति प्रो.वी.एन.राजशेखरन पिल्लई जी के कारण भोजपुरी के ई सम्मान मिलल. उहां के जब भोजपुरी साहित्य के बारे में जननी त खुशी-खुशी भोजपुरी के पाठ्यक्रम में शामिल करे खातिर तइयार हो गइनी. हमनियों के गैर भोजपुरी भासी प्रो.पिल्लई जी के बहुत-बहुत साधुवाद कहे के चाहीं. एह पाठ्यक्रम के परिकल्पना के बारे में बतियावत प्रो. कुमार कहले कि ‘‘जे तरह से भोजपुरी के मांग पूरा दुनिया में बढ़ रहल बा, ओकरा के देखत हमनी के एह भासा के पाठ्यक्रम तइयार कइनी जा. एह पाठ्यक्रम के तइयार करे में हमनी एह भासा से जुड़ल बुद्घिजीवियन से राय-मसौरा कइनी जा. तब जा के एह बेरा हमनी के एह भोजपुरी भासा के पाठ्यक्रम के धरातल प उतार पाइल बानी जा.’’
बाकिर सबसे अहम सवाल ई बा कि का हमनी के खाली भोजपुरी बोलहीं तक अपना के सिमटा के राख दिहब जा? आखिर कब हमनी के ई कहब जा कि हमनी के पढ़े आ लिखे दूनों आवेला? भोजपुरी हमनी के खाली भासा ना ह, ई हमनी के संस्कारो हवे? त हमनी के कब ले आपन संस्कार से दूर भागब जा? एह तरह के कई सवाल बा जवना के जवाब हमनी के देवे के बा. त देर कवना बात के बा. चली चलल जाव भोजपुरी सीखे.
राउर
आशुतोष कुमार सिंह
(संपर्क-bhojpuriamashal@gmail.com)
भोजपुरिया मशाल के नाम से ई कॉलम बिहारी खबर साप्ताहिक पत्र में छप रहल बा.
आशुतोष जी
ध्य्नाबाद
मशाल के रोशनी कबो कम होखे के ना चाहीं.बड़ा बढ़िया जानकारी बा..बड़ा बढ़िया जानकारी बा.
भोजपुरी जब ले जन जन के भाषा नइखे बन जात तबले हमनी के आपन काम जारी रखे के पड़ी.
संतोष पटेल
संपादक
भोजपुरी जिनिगी.
भोजपुरी के नाम पर विधवा विलाप आखिर कब ले होई, कहवां भोजपुरी के मान सम्मान में कमी आ रहल बा ई बात समझ से परे बा. आज जेतना भोजपुरिया बाड़े ओकर 90 प्रतिशत लोग भोजपुरिया विकास के मशाल में ले के चौरा में दउड़त बाड़न. आरे चौरा में दउड़ला से लक्ष्य थोड़े पूरा होई. आज अगर जमीनी स्तर पर देखल जाव त भोजपुरिया क्षेत्र के गांव-देहात के बोली भोजपुरी दम तोड़ रहल बिया. पहिले ओहिजा के लोगन के बीच भोजपुरी के अलग जगावे के पड़ी. इंटरनेट प आ एयर कंडिशन कमरा में बइठ के भोजपुरिया क्रांति के मशाल के लहोक केतना गरम होई ई विचार करे के पड़ी. अगर सांचहू भोजपुरी के विकास खातिर कुछु करे के बा त पहिले एकर उद्गम स्थल प एकर हित सुरक्षित रखे के दिशा में काम करे के चाही. एह लेख के लेखक के साधुवाद दीहल जरूरी बा बाकिर उनका जमीनी स्तर प काम करें के चाही.