- दयानंद पांडेय
बहुत कमे लोग जानेला कि जब विश्वनाथ प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री रहलन तब मुलायम सिंह यादव के इनकाउंटर करे के आदेश पुलिस को दे दिहले रहलें. इटावा पुलिस के मार्फत मुलायम सिंह यादव के ई खबर लीक हो गइल आ इटावा छोड़ने में जब मुलायम एको सेकेण्ड ना लगवलें. एगो साइकिल उठवले आ चल दिहलें विधायक मुलायम सिंह यादव. साल 1977 में राम नरेश यादव आ फेरु बनारसीदास के सरकार में कैबिनेट मंत्री रहलन सहकारिता मंत्रालय के दुनु बेर. बाकिर विश्वनाथ प्रताप सिंह बतौर मुख्य मंत्री उत्तर प्रदेश दस्यु उन्मूलन अभियान में ओह घरी लागल रहलें. विश्वनाथ प्रताप सिंह के पकिया खबर रहुवे कि मुलायम सिंह यादव के दस्यु गिरोहन से महज सक्रिय संबंधे ना रहे ऊ खुदहू डकैती आ हत्या में शामिल रहेलें. फूलन देवी समेत तमाम डकैतन के मुलायम सिंह संरक्षणो देलें आ ओहनी से हिस्सो लेलें अइसन मानत रहलें विश्वनाथ प्रताप सिंह.
तब तो ना बाकिर कुछ समय बाद दिल्ली के इंडियन एक्सप्रेस में पहिला पेज पर तीन कालम के एगो खबर छपल रहे जवना में मुलायम सिंह के हिस्ट्री शीट नंबर सहित, उनुका खिलाफ हत्या आ डकैती के नाहियो त 32 मामिलन के डिटेलो दीहल रहुवे. इंडियन एक्सप्रेस में खबर लखनऊ डेटलाइन से छपल रहे आ एस के त्रिपाठी के बाई लाइन से. एस के त्रिपाठिओ इटावा के मूल निवासी रहलें बाकिर लखनऊ में रहत रहलें. इंडियन एक्सप्रेस में स्पेशल करस्पांडेंट रहलें. बेहद ईमानदार आ बेहद शार्प रिपोर्टर. कबो केहू का दबाव में ना आवसु ना केहू से डेरासु. अपना काम से काम राखे वाला निडर पत्रकार. कम बोलसु बाकिर कामगर बोलसु. फॉलो अप स्टोरी करे में लाजबाव रहलें ऊ. हमनी का बहुते खबरे ब्रेक करे ला उनुका के याद करीलें. कई बार ऊ लखनऊ से खबर लिखसु बाकिर दिल्ली में मंत्रियन के इस्तीफ़ा हो जाव. चारा घोटाला तो बहुते बाद में बिहार में कइलन लालू प्रसाद यादव आ अब जेल भुगतत बाड़न बाकिर ओकरो से पहिले केंद्र में चारा मशीन घोटाला भइल रहुवे. लखनऊ से ओह खबर के एगो फॉलो अप एस के त्रिपाठी इंडियन एक्सप्रेस में लिखलन त तब के कृषि मंत्री बलराम जाखड़ के इस्तीफ़ा देबे पड़ गइल.
त मुलायम सिंह यादव के हिस्ट्रीशीट अउर हत्या, डकैती के 32 गो मामिलन के खबर जब इंडियन एक्सप्रेस में एस के त्रिपाठी लिखलन त हंगामा हो गइल. चौधरी चरण सिंह तब मुलायम सिंह यादव से बहुते नाराज हो गइलें आ मुलायम के सांसदी के टिकट काट दिहलें. आजुकाल्हु जद यू नेता के सी त्यागिओ तब लोकेदल में रहलें. त्यागी एह खबर के ले के बहुते हंगामा मचवलें. एह घरी कांग्रेस में निर्वासन काटत हरिकेश प्रताप बहादुर सिंहो तब लोकदल में रहलन आ मुलायम के आपराधिक इतिहास ले के बहुते हल्ला मचावल करसु. ई साल 1984 के बात ह. तवना घरी मुलायम उत्तर प्रदेश लोकदल में महामंत्री रहलें. सत्यप्रकाश मालवियो महामंत्री रहलें. मुलायम चौधरी चरण सिंह के एतना आदर करसु कि उनुका सोझा कबो कुरसी पर ना बइठत रहलें. चौधरी चरण सिंह के साथ चाहे ऊ तुग़लक रोड पर उनुकर घर होखो भा फ़िरोज़शाह रोड पर लोकदल के कार्यालय, हम जबहुँ मुलायम के देखनी उनुका गोड़ का लगे नीचे बइठल. अब ई खाली सरधे रहुवे कि आपन जान बचावे वाला चौधरी चरण सिंह ला कृतज्ञतो.
बहरहाल मुलायम सिंह यादव के इनकाउंटर में मारे के निर्देश विश्वनाथ प्रताप सिंह 1981-1982 में दिहले रहलन. मुलायम सिंह यादव जसहीं इटावा पुलिस में अपना सूत्र से ई खबर पवलें कि उनुकर इनकाउंटर के तईयारी होखत बा त ऊ इटावा छोड़े में एको सेकेण्ड के देरी ना कइलें. भागे खातिर कार, जीप, मोटर साइकिल के सहारा ना लिहलन. एगो साइकिल उठवलन आ गांवे-गांव, खेते-खेत होखत, कवनो ना कवनो गाँव में राति बितावत चुपचाप दिल्ली पहुंच गइलें चौधरी चरण सिंह का घरे. आ चौधरी चरण सिंह के गोड़ ध के पसर गइलन. कहलन कि हमरा के बचा लीं. हमार जान बचा लीं. वी पी सिंह हमार इनकाउंटर करवावे के आदेश दे दिहले बाड़न.
ओने उत्तर प्रदेश पुलिस मुलायम सिंह के टीसन, बस अड्डा आ सड़कन पर जोहत रहुवे आ ऊ खेत आ मेड़ के रस्ते, गांवे-गांव होत इटावा से भाग सकेले ई केहू सोचिए ना सकत रहुवे. बाकिर मुलायम सोचलन अपना ला. एहसे सेफ पैसेज होइए ना सकत रहुवे. आ जब मुलायम सिंह यादव चौधरी चरण सिंह के शरण में आ गइलन त चौधरी चरण सिंह पहिला काम ई कइलन कि मुलायम सिंह यादव के अपना पार्टी के उत्तर प्रदेश विधान मंडल दल के नेता घोषित क दिहलें.
विधान मंडल दल के नेता घोषित होखते मुलायम सिंह यादव के इनकाउंटर ला खोजे वाली उत्तर प्रदेश पुलिस इनकाउंटर तब उनुका सुरक्षा में लाग गइल. बाकिर तबहियों मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश में अपना के सुरक्षित ना पावत रहलें आ डर का मारे दिल्ली में चौधरी चरण सिंह का घर ही पर रहत रहलें. जब कबो उत्तर प्रदेश विधान सभा के सत्र होखे तबहियें अपना सुरक्षा कर्मियन का साथे महज हाजिरी देबे आ विश्वनाथ प्रताप सिंह के रिगावे ला विधान सभा में उपस्थित होत रहलन. आ लखनऊ से इटावा ना, दिल्लिए वापस जात रहलन. संयोग रहल कि 28 जून, 1982 के फूलन देवी बेहमई गांव में एके साथ 22 गो क्षत्रियन के हत्या कर दिहलसि. तब दस्यु उन्मूलन अभियान में ज़ोर-शोर से लागल विश्वनाथ प्रताप सिंह के इस्तीफ़ा देबे के पड़ल रहुवे. विश्वनाथ प्रताप सिंह के सरकार गइल त मुलायम सिंह यादव के जान में जान आइल. चैन के सांस लिहलन मुलायम. बाकिर मुलायम आ विश्वनाथ प्रताप सिंह के आपसी दुश्मनी कबो खतम ना भइल. बाद में मुलायम विश्वनाथ प्रताप सिंह के दहिया ट्रस्ट के मामिला ज़ोर-शोर से उठवले रहलन.
तब के वित्त मंत्री रहल विश्वनाथ प्रताप सिंह बैकफुट पर आ गइल रहलन. जनता दल का समय विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधान मंत्री रहलन आ मुलायम उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री. ओहू घरी दुनु ओर के तलवार खिंचाइले रहत रहुवे. मंडल आयोग के सिफारिश लागू करे के विश्वनाथ प्रताप सिंह के लालकिला से कइल ऐलानो मुलायम के पिघला ना पावल विश्वनाथ प्रताप सिंह खातिर. वइसहुँ मंडल से पहिलहीं उत्तर प्रदेश में बतौर मुख्य मंत्री रामनरेश यादव यादवन के आरक्षण दे दिहले रहलें 1977-1978 में. से मंडल आयोग से यादवन के कुछ लेना-देना ना रहुवे बाकिर यादव समाज त जइसे एतन बड़ उपकारो ला रामनरेश यादव के जानबे ना करे. खैर, लालकृष्ण आडवाणी के रथयात्रा रोके के श्रेय मुलायम ना लेसु एहला लालू प्रसाद यादव के उकसा के विश्वनाथ प्रताप सिंह बिहारे में आडवाणी के गिरफ्तार करवा के रथ यात्रा रोकवा दिहलन.
अइसन तमाम प्रसंग बा जवन विश्वनाथ प्रताप सिंह आ मुलायम के अनबन अउरी घन करेला. जइसे कि फूलन देवी के सांसदे भर ना बनवलन मुलायम, बलुक विश्वनाथ प्रताप सिंह के अपमानित करे आ उनुका से बदला लेबे के कामो कइलन. बाकिर जइसे बेहमई काण्ड का बाद विश्वनाथ प्रताप सिंह के मुख्य मंत्री पद से इस्तीफ़ा देबे के पड़ल रहे वइसहीं तब किडनी के बेमारी का चलते विश्वनाथ प्रताप सिंह के मृत्यु हो गइल रहे आ मुलायम के जिनिगी के एगो बड़हन कांट निकल गइल. जवन कांटा उनुका के साइकिल से खेते-खेत का पगडंडी से दिल्ली पहुंचवले रहल, संयोग देखीं कि उहे मुलायम के समाजवादी पार्टी के चुनाव निशान बन गइल.
शायद इहे भावनात्मक संबंध रहल कि बेटा अखिलेश से तमाम मतभेद आ झगड़ा का बावजूद चुनाव आयोग में अखिलेश का खिलाफ शपथ पत्र ना दिहलें मुलायम. काहें कि शपथ पत्र देते साइकिल चुनाव चिन्ह चुनाव आयोग ज़ब्त कर लीत. मुलायम समझदार, शातिर अउर भावुक राजनीति एके साथ कर लेबे में माहिर हउवन. ओतने जतना एके साथ लोहिया, चौधरी चरण सिंह आ अपराधियन के गांठल जानेलन. रउरा जानीं कि वामपंथी कबो लोहिया के पसंद ना कइलन स, लोहिया के फासिस्ट कहत अघासु ना वामपंथी, बाकिर लोहिया के माला जपे वाला मुलायम सिंह यादव वामपंथियन के जम के इस्तेमाल कइलन.
जइसे आजु काल्हु वामपंथी कांग्रेस का पे रोल पर बाड़ें तब उत्तर प्रदेश में मुलायम के पे रोल पर रहलें. भाकपा महासचिव हरिकिशन सिंह सुरजीत त जइसे मुलायम सिंह यादव के पालतू कुकुर बन गइल रहलें. जवन मुलायम कहसु, हरिकिशन सिंह सुरजीत उहे दोहरावसु. मुलायम के प्रधान मंत्री बनावे ला हरिकिशन सिंह सुरजीत कवन-कवन जतन ना कइलन बाकिर विश्वनाथ प्रताप सिंह, ओह घरी अस्पताल में होखला का बावजूद मुलायम का खिलाफ रणनीति बना के देवगौड़ा के ताजपोशी करवा दिहलन. मुलायम हाथ मल के रह गइलन. एक बेर फेरु मौका आइल मुलायम ला बाकिर तब लालू घेर लिहलन.
ज्योति बसु के बात चलल रहुवे बाकिर पोलित ब्यूरो लंगड़ी फँसा दिहलसि. मुलायम के बात हरिकिशन सिंह फेरु शुरू कइलन बाकिर लालू का मुलायम विरोध का चलते इंद्र कुमार गुजराल प्रधान मंत्री बन गइलन. बाकिर बाद में अपना बेटी मीसा के बियाह अखिलेश यादव से करवावे का फेर में लालू अपना पत्नी आ तब बिहार के मुख्य मंत्री रहल राबड़ी देवी का साथे लखनऊ अइलन. ताज होटल में ठहरलन. अमर सिंह बिचवनिया रहलन. सब कुछ लगभग फाइनल हो गइल रहुवे त एगो प्रेस कांफ्रेंस में लालू मुलायम के हाथ अपना हाथ में उठा के ऐलान कइलन कि अब मुलायम के प्रधान मंत्री बनवाइहे के दम लीहें. ओह घरी लालू चारा घोटाला फेस करत रहलन आ बतावत रहलन कि देवगौड़वा हमरा के फंसा दिहलसि. खैर, बिआहो मीसा आ अखिलेश के फंस गइल काहें कि अखिलेश बता दिहलन कि ऊ केहू अउर के पसंद करेलें. ई साल 1998 के बाति ह. एकरा एक साल बाद 1999 में डिंपल से अखिलेश के बिआह हो गइल.
एही अखिलेश के 2012 में मुलायम मुख्य मंत्री बनवा के पुत्र मोह में अपना गोड़ पर टाँगी चला लिहलन. अखिलेश बाप का पीठ में सिर्फ छुरे ना घोंपलन, कबो कांग्रेस, कबो बसपा से हाथ मिला के बाप के साइकिल के पंचर करा के ओकरा के अप्रासंगिको बना दिहलन. बाप के सगरी राजनीतिक कमाई आ अपना राजनीति के चाचा रामगोपाल यादव के शकुनि चाल में गंवा दिहलन. एगो चाचा शिवपाल के ठिकाने लगावत-लगावत समाजवादी पार्टिए के ठिकाने लगा दिहलन. अब मुलायम साइकिल चला ना सकसु. हारल बाप का तरह अकेला में लोर ढरकावेलें. एक समय भोजपुरी लोक गायक बालेश्वर के यश भारती से सम्मानित कइले रहलन मुलायम. ओही बालेश्वर के एगो गाना ह – जे केहू से नाहीं हारल, ते हारि गइल अपने से !
मुलायम हार भलही गइलन बेटा से पर साइकिल नइखल हरले. हँ, अखिलेश ज़रूरे अपना ला एगो नारा गढ़वा दिहले बाड़न कि जो आपना बाप के ना भइल से केहू के ना हो सके. अइसन औरंगज़ेबी बेटा भगवान केहू के मत देसु. का संजोग बा कि शाहजहां के कैद क के, बड़ भाई दाराशिकोह के हत्या क के औरंगज़ेब गद्दी हथिया लिहलसि. आ जब शाहजहां औरंगज़ेब से महज अतने फ़रमाइश कइसन कि अइसन का जगहा राख हमरा के कि जहाँ से हम ताजमहल देख सकीं. औरंगज़ेब अइसने कइओ दिहलसि. मुलायमो चहते त अखिलेश के अकल ठिकाना लगावे खातिर चुनाव आयोग में एगो शपथ पत्र दे दिहले रहतन. बाकिर तब साइकिल चुनाव चिन्ह ज़ब्त हो जाइ. ना त ऊ साइकिल फेरु अखिलेश के मिलुत ना मुलायम के. अपनी पार्टी, अपना साइकिल के बचावत शपथ पत्र ना दिहलन मुलायम. शाहजहां का तरह अब चुपचाप आपन साइकिल देखे ला अभिशप्त बाड़न. उ साइकिल जवना से ऊ कबो दिल्ली भागल रहलन विश्वनाथ प्रताप सिंह के पुलिसिया इनकाउंटर से बाचे ला. विश्वनाथ प्रताप सिंह के इनकाउंटर से त तब बच गइलन रहलन मुलायम सिंह यादव बाकिर बेटा अखिलेश यादव के राजनीतिक इनकाउंटर में तमाम हो गइलन. अपना पहलवानी के सगरी धोबी पाट भूला गइलन. राजनीति के सगरी छल-छंद भूला गइलन.
[ पिछला साल पोस्ट भइल सामग्री के भोजपुरी अनुवाद ]
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