भोजपुरी जिनिगी अपना चउथका साल में नाम बदल लिहले बा. अब एकर नाम हो गइल बा “भोजपुरी जिंदगी. नयका अंक में पत्रिका के संपादक उहे बाति लिखले बाड़न जवन आजु का दिन हर भोजपुरी मीडिया के पीड़ा बा. संपादके का सब्दन में पढ़ीं त, “नाम में कुछ बदलाव हो गइला से भोजपुरी भासा के सेवा भाव में बदलाव ना होई. ओइसे अब सेवा सब्द आपनमूल भाव से कट रहल बा. साहित्य में कम राजनीति में जादे. भोजपुरी जिन्दगी के उद्देश्य बस भोजपुरी माई के सेवा बा. आर्थिक लाभ के कवनों आशा नइखे. उमेदो नइखे लउकत काहे कि आजुओं पढ़वइया लोग चाहेले कि पत्रिका पढ़े ला पाकिट ढीला ना होखे के चाहीं.”
पत्रिका के नयका अंक आजु अँजोरिया पर पोस्ट कर दिहल गइल बा. डाउनलोड कर के पढ़ीं.
अँजोरियो के आमदनी से उरेज नइखे बाकिर “मजबूरी के नाम महात्मा गाँधी” वाला अन्दाज में अपना काम में लगलो रहे में कवनो असकत नइखे. समय का साथे अगर हमनी का अपना में बदलाव ना ले आइब जा त पीछे त छूटही के बा. आजु के नयकी पीढ़ी कागज पर कम नेट पर बेसी लिखे पढ़ेले. प्रिंट का मुकाबिले नेट पर प्रकाशन के खरचो कम बा आ दायरो पूरा दुनिया ले पसर जाले.
अँजोरिया अपना माध्यम से “पाती” आ “भोजपुरी जिनगी” के नेट पर खुशी खुशी वितरित करेले. दोसरो प्रकाशक चाहसु त आपन प्रकाशन मुफ्त वितरण खातिर दे सकेले. पइसा वइसहूं नइखे भेंटाये के अइसहूं ना. ता काहे ना अपना प्रकाशन के दायरा पूरा दुनिया ले फइला दिहल जाव. अगर प्रिंटे ले सीमित रह गइनी त जंगल में मोर नाचा के देखा वाली हाल हो जाई.
कुछ दिन पहिले हम भोजपुरी के दैनिक अखबार निकाले खातिर कोशिश कइले रहनी. एगो बंधु मिलले जे तइयार रहले बाकिर बाद में महटिया गइले आ हमहू उनका पाछा ना पड़नी. सोचनी कि का फायदा. अपना बेंवत भर बेसी त ना सही बाकिर एके पन्ना के आनलाइन भोजपुरी समाचार माध्यम का रूप में टटका खबर के जिंदा रखलही बानी. कुछ लोग नियमित अइबो करेला बाकिर ओतना ना जतना सिनेमा वाला खबर खातिर. साहित्य का तरफ झाँकहू लोग कमही आवेला. एह हालत में भोजपुरी के कतना सेवा हो पाई सोचल जा सकेला. बाकिर गीता में भगवान कृष्ण के दिहल उपदेश हमेशा ध्यान में रखले काम में लागल बानी कि “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन”. तोहरा हाथ में बस काम कइल बा. फल के चिंता मत करऽ.
से लागल रहीं, घर के आटा गील कर के भोजपुरी के सेवा करत रहीं. मत सोंची कि केहू दोसर रउरा काम में हाथ बटावे आगे आई.
जात जात इहो कहल चाहब कि आदत लगाईं आपन राय देबे के. कमेंट कइला में कुछ लागे के नइखे. वोट दिहला में कवनो खरचा परेशानी नइखे. से कइल करीं कि हमरो लागो कि मेहनत कामे आ रहल बा. लोग एकर स्वाद ले रहल बा.
राउर,
संपादक, अँजोरिया
ना जी,
अपना काम में लागल रहीं। समय रउरा के इयाद करी आ हमहूँ करब। पत्रिका कवना फोंट में बा, पढ़ात नइखे। भोजपुरी के एगो खबर बता दीहीं कि एक आदमी से बात भइल कि भोजपुरी में आपरेटिंग सिस्टम बनावल जाव। ऊ त तइयार बाड़न बाकिर फंड कहाँ से आई? भोजपुरी अकादमी हमरा ठीक ना लागेला, एसे ओकरा से हम उम्मीद ना कर सकीं। छत्तीसगढ़ी में रवि रतलामी जी आपरेटिंग सिस्टम बना लिहलन आ मैथिलियो में बन गइल। जिनकरा से बात भइल रहे ऊ कहलन कि कम से कम एक बेर त बनहीं के चाहीं। बाकिर का कइल जाव?
dhanyavad, chandan ji, hausla badawe la. ee kitab ke font ba- Gul 8 bold.
waise pdf me font ke jarurat na pade ke chahi. phir kosish karab t open ho sakela.
santosh patel
sampadak ji
pranam
bhojpuri jingi ke ee aank ke parose khatir dhanyavad.bahut sundar kalewar, kahani me MNC, UMED, BORSI tinu ke tinu bahut bhawana se labrej ba.sampadikeye ke bahane me bada sundar article parosal gaeel ba.. geet gazal aa kavita bahut uttam lagal.Annoria aa bhojpuri jingi parivar ke bahut bahut abhar.
ajeet kumar
laxmi nagar, delhi
Bhojpuri jingi patrika ke ee naya aank ke kalewar bada nik ba.
hamar hardik badhee
Shivji singh
President: Purvanchal Ekta Manch (R.) Delhi.
संतोष भाई,
आप के काम सदा प्रसंसनीय अउर भोजपुरी तथा भोजपुरिया की हित में बा। रउआँ लागल रहीं। जय भोजपुरी।
प्रभाकर भाई
प्रणाम
धन्यवाद, एहे से काम ना चली पत्रिका चर्चा करब, कमी बेसी उजागर करब त हमरा बड़ा ख़ुशी होई.
भोजपुरी के सभ भाई बहिन लोगन में बता देम त बड़ा उत्तम काज होई.
संतोष
prabhakhar bhaee
dhanyabad, ruara se nivedan ba ki patrika ke kami-besi ke ujagar karin aa aeme kono sudhar ke jarurat hokhe t hamani ke disha nirdeshan di.
dhanyabad sahit
santosh patel
sampadak jee
“bhojpuri zindagi’ ke aank bahut sundar lagal.dhanyabad
dinesh bhojpuria
भोजपुरी ज़िन्दगी के ई अंक के देख के बहुत ख़ुशी भईल. एम. एन. सी. , व्यंग में मिर्जा खोंच, केशव जी का सृजन कविता साथै साथै समीक्षा निमं लागल. उम्मीद बा की मोह जवन प्रशांत जी के कहनियन के संकलन बा उ जल्दी पढ़े के मिली.
गणेश
संतोष भईया प्रणाम !
राउर पत्रिका “भोजपुरी जिंदगी”नायका अंक खातिर बहुत -बहुत बधाई .पत्रिका पढ़े के बड़ी मन रहे . लेकिन पत्रिका पढ़ात नइखे .का पता कवना “फोंट ” में बा .हम चाहत बनी हम पत्रिका के वार्षिक ग्राहक बन जाई.त कइसे का करे के पड़ी .
राउर
ओ.पी.अमृतांशु
अमृतांशु जी,
रउरा आ चंदन मिश्रा जी लिखत बानी कि पत्रिका कवना फाण्ट में बा, पढ़ात नइखे. हमरा किहाँ आ बहुतेरे पाठक लोग किहाँ त बढ़िया से खुल रहल बा. अगर रउरा ओह पन्ना के प्रिंट स्क्रीन कर के भेज सकीं त शायद हमरा समस्या समुझे में आसानी होखीत.
वइसे पत्रिका कृतिदेव १० फाण्ट में बा. बाकिर चूंकि ई पीडीएफ फार्मेट में बा त फाण्ट के समस्या ना होखे के चाहीं.
राउर,
ओम
santosh bhayi,
pranaam,
patrika ke cover page bahutey aakarshak baa. Bhojpuri maati se judal cover page deke apney patrika ke aawran mein chaar chaand laga dihle baani.
font ke samasya ke kaaran patrika ke awlokan nayikhe ho paawat, eh vishay mein kawno disha-nirdesh nirgat karin.
raur bhayi
RAJ
raj bhai
pranam
font thik ho gayi baa ab raua patrika padh saki le
dhanyavad
santosh patel
santosh ji
Bhojpuri jingi ke ee aank ke cover page prakritik ba aur darsawat ba ki sampadak mahoday prakriti premi baten. Hamar hardik badhee.
Baki “Beti Bachao” kavita bada nik lagal.
Bahut sundar kalewar, kahani me MNC, BORSI nik lagal.
Devendra, Delhi
nam chahe jo rakh len, lakshya se bhatkana nahin chahiye. Lagan men koi kami nahin Aani chahiye. Aapka prayah mujhe Achchha laga.
Santosh Bhaiya,
Parnam karat bani,
Raaur kaam k jetno parsansa kail jaye kum ba..ego baat bada achha lagal ki raua naika pidhi k dheyan me rakhle bani..Net ke madhyam se.E saach baat ba ki nawka pidhi jyada net par hi rahela log.Bakir ketna bhjpuri bolela aa padhela e kekro se chhupal naikh..raur paryas me ham sabhe shamil bani aa hamesha rahem..
kucch hamhu likhe ke chah tani….
ego diya ta jaral kahi bhojpuri k,
chahe anjor bhail sagre tani deri se,
ab ghare ghare dekhi pasar jaai ,
ham sabhe ehe paryas kail jaai.
kaisan lagal e hamar chhot paryas hamro ke batayem jarur..
“Raur ashirwad ke baat me”
Suanka.
संतोष भाई,
नवका अंक प्रकाशित करे खातिर बहुत बहुत धन्यबाद
राउर सम्पादकीय अति प्रशंशनीय बा ओह में रौवा भोजपुरी के विरोध करे वाला के बहुत बढ़िया जवाब देले बानी, अब शायद भोजपुरी के खिलाफ बोले वाला लोग एक बार बोले के पाहिले जरूर सोचीं लोग. अगर इ अंक पढ़ लिही लोग त.
असल में हमनी के कौनो लड़यिये नईखे हिंदी से लेकिन कुछ लोग के लागत बा की भोजपुरी अगर शामिल हो जाई त ओह लोग के मान कम हो जाई, जबकि ऐसन कवनो बाते नईखे, हिंदी और समृद्ध हो जाई भोजपुरी के ८वी अनुसूची में शामिल होखे से. भोजपुरी खातिर लडाई में हम रौवा संगे बानी, आ हर ओह आदमी के सांठे बानी जे भोजपुरी के फायदा खातिर कवनो तरह के लडाई लड़ रहल बा
भोजपुरी खातिर रउवा जी जान से लागल बानी, इ देख के मन एकदम हर्षित हो जाला, हमार शुभकामना रउवा संगे बाटे.
सत्येन्द्र उपाध्याय “भोजपुरम”
thanks
this is a good effort to bring back our glorious bhojpuri culture. I fully support this efforts and wish all of you a grand success.
dhanyabad
hamani ke bhojpuri ke aage badhawe ke chahi. ab hamni ke i kam na karal jai to ke kari ehi se sab koi mil ke ek umda prayas karal jao taki kuchh naya hokhe.
thanks
good efforts to bring back our glorious bhojpuri culture. i fully support this efforts. thanks
bahute badhiya prayas. age badhi sabhe, hamar subhkamana aap sab ke sath ba.
dhanayabad
bahut badhiya, bahut achha prayas. dhanyabad
bahute achha
Bhaiya eisan ba ki bhoujpuri ke english me likhe ke padat bate.
raura leka karmath camred ba jaona se bhojpuri ke diya ke prakash vishwa ke har kona me jat ba. Raur prayas safal jarur hoi. bakir ka samra jaisan log se nihora ba ki jab bhi bhojpuria bhai se mili bhojpuri me jarur bat kari. eh se hamar aa raur bhaichara ke sath strength bhi badhi.
Patrika padab t okara bare me kuch lakhab
dhanyabad
संतोष भैया,
प्रणाम
भोजपुरी जिन्दगी के नवका अंक अंजोरिया डोट कॉम के माध्यम से पढ़े के मिलल. हर अंक के जइसन इहो अंक माटी के गंध आउर भोजपुरिया बयार में अपना साथै मदमस्त कर देलस. सम्पादकीय में संपादक जी के विचार अनुकर्णीय बा. कहानी के खातिर समर्पित ए अंक में एम् एन सी आउर बोरसी कहानी दिल के छु गईल. ऐ कहानी में कबो हर्ष आउर कबो विषाद के जवन गठजोड़ कहानीकार दिखवले बा.
अंत में भोजपुरी भाषा के अहित करे वाला लोग पर भी जवन बात ऐ पत्रिका में कहल गईल बा. उ ओ लोगिन खातिर कम बा. हमरा विचार से ऐ लोग पर कम ध्यान दे के आपन माई, माटी आउर भोजपुरी पर ध्यान दिहल जरूरी बा. इस तरह के लोग हर समय हर समाज में पावल गईल बाड़े जेकर काम खाली दोसर में कमी खोजल बा चाहे उनकर पूरा काम कमिये से भरल होखे.
जय भोजपुरी, जय बिहार
ठाकुर अभय प्रताप सिंह, तक्कीपुर, सिवान, बिहार
भाई संतोष जी,
बधाई.
भोजपुरी जिंदगी के कहानी विशेषांक नीमन लागल. अभी पूरा नइखीं पढ़ले.पढ़ला का बाद बताइबि. आजे पढ़े लाएक स्थिति में एहके डाउनलोड कर पवलीं हा.
फाइल का खुले में दिक्कत रहे.पहिल बार जवन डाउनलोड कइले रहीं ओमें फोटो कलर्ड रहले सन आ ऊ कृतिदेवो में ना खुलल.जब दुबारा आजु ब्लैक एंड व्हाइटवाला डाउनलोड कइलीं हा त खुल गइल हा. एकरा खातिर कवनो फंट के जरूरत नइखे.
विमल
Dear Santosh Ji,
While popularity of bhojpuri is indisputable and demand for its inclusion in 8th schedule of constitution is also need of the hour; however your effort to higlight the merits and popularity of Bhojpuri is very commendable.
It appears that you have done a lot of research on Bhojpuri and the kind of information you have provided, it’s really an eye opener.
I really commend your services towards making it more popular through literary works.I am sure, with your and your kind of effort by many others, Bhojpuri literature would be as popular as Bhojpuri cinema in India.
Santosh ji, you are doing great.Please keep it up.
Regards,
SN VERMA
Santosh ji
Namaskar!
No doubt, Your Grand service to BHOJPURI is highly appreciable. I request each and every BHOJPURIA to adopt BHOJPURI as a culture . This will attach you with your MATI.
I wish a great success in coming days for our favt.BHOJPURI JINGI
////I request each and every BHOJPURIA to adopt BHOJPURI as a culture ./////
भाई अनिल कुमार गुप्ता जी, रौआ भोजपुरिया ना होके भी हेतना नीमन बात भोजपुरी के बारे में कहत बानी, बहुत अच्छा लागल, गैर भोजपुरी भाषी लोगन के भोजपुरी के प्रति चिंता सराहनीय बा |
//भोजपुरी जिनिगी अपना चउथका साल में नाम बदल लिहले बा. अब एकर नाम हो गइल बा “भोजपुरी जिंदगी.//
भोजपुरी जिनिगी नाम से जवन महक आवत रहल उ भोजपुरी जिन्दगी से नईखे आवत, खैर होई कवनो सोच एकरो पीछे जेके अभी हमनी का नइखी जा ध पावत |
अब लेखक के लिखल एगो वाक्यांश के मतलब सब भोजपुरिया जानत बा, अइसन उपमा कम से कम अंजोरिया पर शोभा नइखे देत |
अगर हमार बात से संपादक महोदय सहमत होखब ता एह लेख के सम्पादित करे के किरपा करब |
//जात जात इहो कहल चाहब कि आदत लगाईं आपन राय देबे के. कमेंट कइला में कुछ लागे के नइखे. वोट दिहला में कवनो खरचा परेशानी नइखे. से कइल करीं कि हमरो लागो कि मेहनत कामे आ रहल बा. लोग एकर स्वाद ले रहल बा.//
एह बात से हम सोरहो आना सहमत बानी, लेखन के अगर जियत रखे के बा त तिप्पनियावल बहुते जरुरी बा |
भोजपुरी जिनिगी च च च भोजपुरी जिन्दगी के सफलता खातिर हिया से चाह बा |
राउर सबकर आपन
गणेश जी “बागी”
प्रिय बागी जी,
लेख में लिखल एगो गलत वाक्यांश का तरफ ध्यान दिलावे खातिर धन्यवाद.
राउर सलाह मान के लेख में से ऊ वाक्यांश हटा दिहल गइल बा आ ओकरा के दोहरावे से बचावे खातिर रउरो टिप्पणी में कुछ संशोधन कर दिहल गइल बा बाकिर मतलब नइखे बदलल गइल.
एक बेर फेर से धन्यवाद !
बीच बीच में हमरा के अइसही टोकत रहीं.
राउर,
ओम
आदरणीय ओम भाई परनाम !
///राउर सलाह मान के लेख में से ऊ वाक्यांश हटा दिहल गइल बा आ ओकरा के दोहरावे से बचावे खातिर रउरो टिप्पणी में कुछ संशोधन कर दिहल गइल बा ///
रौआ हमरा सुझाव के मान रखके आपन कद अउर भी उंच कर लिहनी, बहुत बहुत धन्यवाद, हमरा पुरनका टिप्पणी में रौआ संसोधन कर के ठीक ही कईनी कि ना मुरदा रही ना महकी |
एक बार फेनु आभार जतावल चाहत बानी |
गणेश जी “बागी”
प्रिय संतोष भाई,
प्रणाम.
“भोजपुरी ज़िन्दगी” के नवका अंक के पहिला बेर ऑनलाईन पढ़े के मौका मिलल आ ऊ भी भोजपुरी के पहिला वेबसाईट “अंजोरिया” के माध्यम से. एह विशेष सहयोग खातिर “अंजोरिया” के आ एह उम्दा सोच खातिर राउर जेतना बडाई करल जाओ कम होई. आज उद्गारित मन के माध्यम से कहे आ लिखे के त बहुत कुछ बा एह विषय में लेकिन कम शब्द आ कम समय में हम आप लेखनी के प्रस्तुत कर रहल बानी.
हम ईहे कहब की कवनो संस्कृति, संस्कार आ भाषा के विस्तार आ व्यापकता में साहित्य के बहुत बड़ा योगदान होला काहे की संस्कृति के अनवरत रूप से चलावत रहे में, संस्कृति के पहचान के रूप में आ संस्कृति के स्व-संस्कार के व्यापक करे में साहित्य एक बहुत बड़ा माध्यम होला जे एक पीढ़ी से दूसरा पीढ़ी तक आगे बढ़त रहेला आ जानकारी देत चल जाला. अपने एह विशेष जिम्मेवारी के “भोजपुरी ज़िन्दगी” के माध्यम से लोग के बीच प्रस्तुत करे में सफल बानी एह खातिर हार्दिक शुभकामना, कोटिशः आभार आ धन्यवाद.
“भोजपुरी ज़िन्दगी” के एह अंक-विशेष में कई ठो उम्दा साहित्यकार लोग से आ उनकर उत्कृष्ट लेखनी से परिचय भईल. ई ऊ साहित्यकार हवें जे आज के हवा में मादक होके आपन चानी चमकावे में नईखन लागल बल्कि कहीं दूर-दराज के गाँव में बईठ के लगातार उम्दा-साहित्य के संरचना कर रहल बाड़ें. अईसन उत्कृष्ट साहित्यकार के परिचय आ लेखनी के हमनी के बीच अपने प्रस्तुत कईनी आपन पत्रिका के माध्यम से, एकरा खातिर साधुवाद.
आशा ही ना बल्कि पूर्ण विश्वास बा की राउर “भोजपुरी ज़िन्दगी” एह उत्कृष्ट आ ऐतिहासिक भोजपुरिया वेब साईट “अंजोरिया” पर आगे भी चमकत-दमकत रही आ भोजपुरी समाज के सेवा करत रही.
आपन बात के समाप्ति के कगार पर ले जाते हुए हम पुनः आभार व्यक्त करब “अंजोरिया” के जेकरा माध्यम से भोजपुरी से जुडल प्रतिभा के अंजोरा में लावे के लगातार प्रयास हो रहल बा, जे चमक-दमक के माध्यम से झूठ-सांच लिखे के बदले, सहज-सरल आ प्रभावशाली ढंग से भोजपुरी से जुडल मुद्दा, साहित्य, विचार के लोग के बीच प्रस्तुत कर रहल बा. “अंजोरिया” के जन्मदाता भाई ओ. पी. सिंह जी के एह विशेष-सहयोग खातिर कोटिशः आभार, धन्यवाद आ साधुवाद.
राउर भाई,
आर के पाण्डेय “राज”
लखनऊ
“भोजपुरी जिंदगी” के कहानी “भोजपुरी ह अमरित बानी” के स्वाद लेते -लेते हम “भाषा विमर्श करत “बबुआ के मुहँ प रोहानी ” चढ़ाके “बेच दिहऽ गहंकी बोलके ” “जब मल्टी नॅशनल कंपनी” के पढ़त-पढ़त आगे गुजरतानी तब “एगो आभास”के साथे-साथे एगो बढ़िया “सवाल “भी मिलल .जेकरा में हम उलझत -सुलझत आगे बढ़नी .तब “हमहूँ किताब वाला भईनी”से मन में गुदगुदी भईल आ एगो “उमेद ” जागल .हम मने -मने गावे लगनी “इ जिनिगिया तऽ हमरो से दूर भागताऽ!माई तोहरी बिन ,जगवा इ सून लागताऽ!!”.गावत -गावत गावे लगनी “कवनो सिंगार गोरी करिहे सरिरिया , एडीं से भरल कपार बा !सेनुर बिना सब बेकार बा !”.फिर ढुक गइनी भोजपुरी सम्मलेन में आनन्द लेवे खातिर .सम्मलेन से निकलला के बाद प्रो शत्रुध्न कुमार के साथे संतोष जी के भइल लमहर बातचीत पढ़ के जानकारी मिलल कि भोजपुरी के सब दिशा में विकाश हो रहल बा .अगला पेज में “मोह ” के समीक्षा आ उपन्यास “दाल भात तरकारी ” के स्वाद चीखे के मिलल .’अब केतना ले लिखीं रहत नइखे .समय के पगहा धारत नइखे .’
बड़ी नीक आ ज्ञान- वर्धक लागल “भोजपुरी जिंदगी “.
ओ.पी.अमृतांशु
09013660995
I have gone thorough the latest issue of Bhojpuri Jindgi in a totally new avtar. It is very exqusite in terms of matters, look, design. The Editorial given by Sh. Santosh Kumar is very logical and gives a real picture of Bhojpuri in the present senario. The interesting part of this magazine is the new stories such as Multi National Company, Borsi, Balloon are very heart touching and having emotional touch. The poems of Mr. Anari as well as Mr. Naval Singh are also very good and give a lesson to all the indians for the mission ‘Save Girl Child’. The effort to make Bhojpuri language is really appreciable. It is sad that eveen after doing such a wonderful work there is no earnings from this magazine. Hence the readers of this magazine are requested to donate as much as they can to promote the good work so that Bhojpuri can reach new horizons in future. I also thanks anjoria.com that it has published the magazine on its website so that all the Bhojpuri lovers can go through it around the world free of cost.
Jai Bhojpuri.
MUKUL, Ghaziabad
Dear Sampadak ji,
It’s really great to see the ‘Bhojupuri Jindgi’. Simply sublime! Very impressive!!
Thanks so much for Santosh bhai for your great contribution to Bhojpuri!!
I also like to thank anjoria.com for this contribution!!
Let books be your dining table,
And you shall be full of delights
Let them be your mattress
And you shall sleep restful nights.
Congratulations to Santosh Bhai and anjoria.com.
Jai Bhojpuri,
Chandrashekhar Kumar
Bangalore
संतोष भाई
नमस्कार
रउआ द्वारा सम्पादित भोजपुरी खातिर समर्पित पत्रिका ‘भोजपुरी जिंदगी’ के अंजोरिया.कॉम के माध्यम से पढनी. पढ़ के मन बड़ा आनंदित भइल. सबसे पहिले अंजोरिया.कॉम के बहुत बहुत आभार जेकरा मार्फ़त भोजपुरी के पियासल लोगन के तरास पियास बुझावे के काम हो रहल बा.ओकरा बाद पत्रिका भोजपुरी जिंदगी के जवन पियासल लोगन के आपन मिठास से गला तर कर रहल बा.
भोजपुरी जिंदगी के नवका आवरण बहुत मनमोहक लागल. कहानी खातिर समर्पित ई पत्रिका में कहानीयन के चयन और कहानी के कसाव पूरा तरह से पाठक के बांध रहल बा.
ई पत्रिका के माध्यम से भोजपुरी के निचा दिखावे वाला लोगन के सम्पदाकिये के बहाने संतोष जी के विचार जबरदस्त बा. भोजपुरी के बारे में टिका टिपण्णी कइल गइला बा त हम ईहे कहब के पांक से पांक ना धोवल जाला. पांक के धोये खातिर साफ पानी के जरुरत बा ई लोग समय के साथ सिख लिही.साफ विचार के साथै भोजपुरी के सबल बनावल हर भोजपुरिया के कर्तब्य बा .आगे और सुन्दर विचार औरी साहित्य से हमनी रु-ब-रु होयब. ईहे आशा बा. पत्रिका परिवार के बधाई .
राउर
महेश कुमार शर्मा
बोकारो, झारखण्ड
Mahesh sharma ji ham naya user bani raur ghar kaha pari
Bhojpuri Zindagi ka taza tarin shumarah ke dastavadi shumarah hai iss ka mutala har parhai likhai insan ke leya kaar aamad cheez hai. iss shumarai ke leya Janab Santosh Kumra Ji aur Anjoria.com Mubark baad ke mustahiq Hai.
Bhojpuri jindagi ke aank bahut niman ba. aesahi hamni sab ke prayas kare ke padi ki kaise bhojpuri ke vikas hokhe.rashtra ke 8vi anushuchi me shamil kare khatir ee prayas bahut jaruri ba.sampadak auri anjoria ke dhanyabad.
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rajiv
balia
Santosh Bhiya ke Pranam
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ye bat ke khatir raua ke hardik dhanyabad ba
Amit Kumar Srivastva
Bagaha, W. Champaran,
Bihar
Jai Bhojpuri
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Manoj
Ghaziabad
पईसा ना सेवा पर ध्यान दिहल जाव,बार बार मन के भटकाव से ढेर जरुरी बा खाली कर्म कईल, पत्रिका के इ अंक पढला के बादे बताईब की ई अपना उद्देश्य मे केतना कामयाब बिया ।
परम आदरणीय मुकेश जी
राउर कहल ठीक बा बाकिर बिना पैसा के कामो न चल सकेला.
पत्रिका पढ़ के आपन विचार देम हम उमीद कर सकिले.
सादर
संतोष कुमार
संपादक : भोजपुरी जिंदगी
Namaste
Hum Bhojpuri jindagi ke ee ank dekh ke badi khush baini ha. hamar man ke arman ba ki yehi tarah bhojpuri jindagi badhat rahe.
illa
banaras
badhai ho santosh ji
bhojpuri jindagi ke ee chauthaka aank khatir
illa
namaskar sab koi ke
hum to pahilka bar bhojpuri jindagi padat bani. jab ekar ank print ho ke aa jaye to hamro ke khabar kar deb ja raua log taki hamhu ekra ke bar bar padh sakin pdf men kucch chij saf naikhe.
satpadi diwedi
meharauli
hum banaras se ritesh verma santosh ji auri sab bhojpuri team ke badhai det bani
ritesh verma
hi all
its my pleasure to see bhojpuri is growing so fast. i wish all the best.
thanks
Ranvijay singh
Mosco ( Russia)
bahut achha lagal bhojpuri ke bat sun ke.
raman
Dwarka delhi
hi all especially manoj ji
bhojpuri ke liye apka prem dekh kar bahut achha laga. aap aise hi kam karte rahen.
neena
Ghatkopar mumbai
Bahut acha prayas
भोजपुरी के सभ नेही छोही भाई अउर बहिन
प्रणाम
“भोजपुरी जिंदगी” परिवार आप सभे के एइसन समर्थन देवे ला ह्रदय से धन्यवाद दे रहल बा.
आभार “अंजोरिया.कॉम” के करता धर्ता आदरणीय ओ.पी.सिंह जी के भी जे आपन मदद से हमनी में उत्साह भर देनी.
पत्रिका के बारे में पाठक, समीक्षक आ भोजपुरी के गुनिजन से निवेदन बा की ठोस प्रतिक्रिया दिही.
ए बेर फेर से रउरा लोग के आभार आ धन्यवाद
संतोष कुमार
संपादक : भोजपुरी जिंदगी
E naya sanskar parh ke bahut acha lagal.jab bhi ye tar ke bat kitab ke madyam se parehe ke mile la, tab tab hamar dil me chupal bhojpuri la kuch vesesh kare la tamnnana jagela.na ta hamni ke yetna modren hot ja rah bani sab, ki aapan sabhyata sanskriti piche chute ja rahl ba. bahut acha lagal ye naya aank parke.sampadak mahoday ki bhi bahut dhanyabad ki ye tar ki visay utha ki hami ke jore ke kam kar rahl bare.
sandeep sinha
Actor/Director
Bhojpuri Zindagi ke ee taja aank manmohal ba.
bhadhaee………….santoshji aur anjoria
KKROY
Director
Kaliason Televent P. Ltd.
Dear Santosh
nice to see your new bhojpuri based magazine and site i.e anjoria.
Dharmesh
Creative Designer
संतोष जी आपकी पत्रिका पढ़ी बहुत अच्छी लगी.
मैं अपनी शुभकामना प्रेषित कर रहा हूँ
जोगिन्दर सिंह
रोहतक, हरियाणा
संपादक जी ( अंजोरिया और भोजपुरी जिंदगी)
मै आपकी पत्रिका पढ़ा. कहानी विशेषांक इस पत्रिका में दी हुयी सारी कहानियां मर्म स्पर्शी हैं. सम्पद्किये के बहाने से भोजपुरी की जानकारी मिली उमेद कहानी भावना से ओत प्रोत लगी. सुखांत .. पानी ललित निबंध सामाजिक समस्या को दर्शाता है .बेटी बचाओ आन्दोलन के समर्थन देता नवल जी की कविता समाज के लिए एक शिक्षा है.संतोष जी का प्रो. शत्रुघ्न कुमार जी के साथ बतकही से विश्वविद्यालय स्तर पर भोजपुरी और उसके बढ़ते प्रभाव का पता चलता है. “फुलौना” एक अनुदित कहानी है परन्तु वास्तविकता के बोध करा रही है.
पुन : पुन: धन्यवाद
मनोज मान
patrika dhirghayu ho….
subhkamana
Kishore Kumar Ratra
Chief Editor : Pragyavtar/Space Age Times
Santosh Bhaiya
thanks for your grand contribution for propagation of bhojpuri thorugh your great effort i.e. BHOJPURI JINDAGI .
My special thanks for anjoria website.
BHARAT BHUSHAN
OFFICER; RMD
dear santosh, it is very nice to see your latest magazine and i appreciate your contribution made for the growth of Bhojpuri language. Best wishes for the future assignment.
Brijesh Pandey,
Bhojpur Premi
Dear brother santosh,
raur kitab padhni aur bhoot acha lagal, hamni kay chahila ki bhojpuri bhasa kay vikas hoibak chahi. hamni kay gar may maithili bolila aur yar dost jo bhogpuri barai unka sang bhogpuri,
maithili may ;-
hum sab mithila chor ke 115 sal pahilay bangal chal gel chi, laking bengali bhasa maay sikha lelak bado meithili our bohogpuri bagaith chi.
thi lal hamar aha sab sa anuroth achi jay apas may hor nahi laga kay yaadi dunu bhasa kay uthan lal karya kail kari tay nik hoyat.
bhojpuri may:-
raur hamra kuno samay sampark asthapit kay sakat bani, hum raur kay adi kuno kam aa sakila to khushi haoi.
sorry I can not wirte in devnagrik , fear of spealing mistakes
thank with love
shravan kumar jha
adarniya sharvan bhaiya
bahut bahut dhanayabad, raur hamar haulso bahdwani aa bhojpuri ke ee prem khatir ham hriday se abhar det bani.
santosh
editor
shubh kamana
anjoriya ka july ka ank padhha,vividhh tatha rochak samagri hai.bhojpuri ke pathhakon se ek lekhak ki tarah is ank ke madhyam se pahla parichay hai. is ank me meri hindi kahani ”gubbara” ka bhojpuri anuvad ,”fulouna” chhapa hai. Santosh ji ne sachmuch bahut sundar aur sajiv anuvad kia hai.Is kahani ka angreji me anuvad Amrita Bera ne kia hai jo U.S. ki ek magazine ANJALI ME chhapa hai tatha bangla anuvad Chitra vasu malik ne kia hai jo ”HANIYAN O ANANYO GULP” me sangrahit hai.Is ank ke madhyam se ANJORIA ke pathakon ko pranam aur ANJORI parivar ko badhai va shubhkamnaen. VIVEK MISHRA
adarniya Vivek ji
mai aapko awam Amrita Bera ji ko dhanyabad deta huan jo bhojpuri bhasa sahitya me aapni ruchi dikhalee.
mai swyam aapki kahani padhte padhte bhawuk ho utha…
man ko jhakhjhor ke rakh diya tha ….. dhanyabad hausla badhane ke liye
santosh patel
Lage raho santosh bhai… I really proud of you and also feeling so. ■Today I realised your true potential and my faith in you has increased in leaps and bounds. Hope you continue to keep up the fantastic job that you are doing.
Good day!
“भोजपुरी जिंदगी” त्रैमासिक पत्रिका के हाल फिलहाल के अंक देख के हियरा जुड़ा गईल. पत्रिका में शामिल रचनन के पढ़ के दिल दरियाव हो गईल. एमें के कविता , कहानी, लेख आदि खाली मनोरंजने नईखे करत बलुक आदमी के जिनगी में व्याप्त समस्या के उजागर करके ओकरा निदान वास्ते चिंतन-मनन खातिर प्रेरित करत बा. हमरो किताब “बेटी के विनती ” के एगो कविता के पत्रिका में स्थान देके युवा सम्पादक श्री संतोष पटेल जी हमरा मिशन के पूरा करावे में सहृदयता देखवले बानी. एकरा खातिर बेटी बचाओ मिशन से जुडल सभी लोग का दिल में कवि, साहित्यकार आ सम्पादक श्री संतोष पटेल जी बस गईल बानी. “भोजपुरी जिंदगी” पत्रिका, अइसन मेहनती आ जुझारू सम्पादक का देख-रेख में भोजपुरी जगत के पत्रिकन में एगो मील के पत्थर सिद्ध होई एमें इचिको संदेह नइखे.
भोजपुरी आ भोजपुरिया संस्कृति के विस्तार देके मंजिल तक पहुँचावे वाली वेबसाइट अंजोरिया डोट कॉम के बड़ाई खातिर हमरा पास शब्द नईखे. गाँव-गँवई आ आम देहाती के पहचान से जुड़ल भाषा भोजपुरी के धरती से आसमान तक पहुँचावे में अंजोरिया डोट कॉम सूरज के भूमिका निभा रहल बा. एकरा खातिर हमार हार्दिक शुभकामना बा.
नवल किशोर सिंह “निशान्त”
साहित्यकार(हिंदी,भोजपुरी)
संपर्क- बी-४१७/५८ गली न. ५ लक्ष्मी विहार
(नियर पारुल गैस गोदाम)
बुराड़ी दिल्ली-११००८४
संतोष जी,
सप्रेम नमस्कार,
आपके द्वारा संपादित त्रैमासिक पत्रिका “भोजपुरी जिंदगी” का वर्तमान अंक पढ़ा. पत्रिका सचमुच आम आदमी के जिंदगी का आईना है| इसकी सारी रचनाएँ प्रेरक है| आशा है कि आपके सम्पादन में यह पत्रिका पूरे संसार को समेटने में सक्षम होगी| हमारी ईश्वर से विनती है कि आपको सदा स्वस्थ एवं सुखी रखे जिससे भोजपुरी एवं भोजपुरिया संस्कृति लताओं जैसी दिन दूना रात चौगुना फूलती-फलती रहे| अंजोरिया डोट कॉम का भोजपुरी के प्रति समर्पण काबिले तारीफ़ है| कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियों को समूल नष्ट करने के लिए पत्रिका के अंक में भाई नवल किशोर सिंह “निशांत” जैसे लोक कल्याणकारी कवियों की रचनाओं को शामिल करके आप समाज के मानस-पटल पर एक अमिट छाप छोड़ने में कामयाब दिखते है|
मेरी हार्दिक शुभकामनायें!!
आपका
नीरज कुमार (शिक्षक)
दिल्ली-110036
प्रिय संतोष जी,
अंजोरिया में आपके द्वारा भोजपुरी में अनुदित “फुलौना” कहानी पढ़कर बहुत हर्ष का अनुभव हुआ। आप इतना सुन्दर व सटीक अनुवाद करने की दक्षता रखते हैं, उसके लिए आप बधाई के पात्र हैं। आपका अपनी भाषा के प्रति ऐसा डेडिकेशन,जुनून और अपना सबकुछ दाँव पर लगा, भोजपुरी भाषा को एक विशिष्ट मक़ाम पर लाने की लगन व उसके लिये अथक परिश्रम से जुटे रहना। आप सबके लिए एक उदाहरण हैं, रोल मॉडेल हैं। आपके इस प्रयास को मेरा नमन। आप आगे भी ऐसा ही अच्छा काम करते रहें, यही मेरी कामना है। अंजोरिया को बधाई, इतनी सुन्दर वेब्साईट चलाने के लिए। इस मीठी भाषा के पाठकों को भी मेरा नमस्कार।
शुभकामनाओं सहित,
अमृता बेरा
भोजपुरी साहित्य के समर्पित पत्रिका भोजपुरी जिंदगी के स्वागत बा.
संपादक जी के बधाई
युगुल किशोर द्विवेदी
प्रेसीडेन्ट : पूर्वांचल जन शक्ति (र. )
dear santosh Bhai,
it is very nice to see your magazine and i appreciate your contribution made for the growth of Bhojpuri language. Best wishes for all the future assignment.
Santosh bhaiya delhi admn me bhi aapan bhai log ke kauno kami naikhe bakir jarurat ba sab log ke sath leke chalal. akuno aisan upai batai ke sab bhai log ek dusra ke madad kare log. delhi admn apan paith banawal jaruri bate
नमस्कार आपो कमाल के लिखत बानी RANA RANJEET BASU DHARANI GHAZIPUR UP BHOJPURI UTTHAN MANCH