येदु, वसुंधरा अउर मोदी क बहाने

– अशोक भाटिया

आजुओ हम रोजाना आर॰एस॰एस॰ क शाखा जाइले आ जइसहीं ओहिजा चहुँपीले संघ के अधिकारी हमरा ओरि अजबे नजर तिकवेलें. ई क्रम आजु से ना पिछला पचास साल से चलल आवत बा. संघ का नजरिया से हम संघी कम भाजपाई बेसी हईं. स्वयं सेवक क नाते त आजुओ हमरा के संबोधित ना कइल जाला. हमरा बारे में उनुकर नजरिया संघ के स्वयं सेवक ना मान के भाजपा नेता क रूप में होत आइल बा. उनुका लागेला कि ई उनुके मेहनत के नतीजा ह कि हम आजु भाजपा में नेता बनल बानी, उहे हमरा क एह लायक बनवलें कि हम भाजपा नेता कहानी. जबकि आजु क राजनीति मे परिदृश्य बदल चुकल बा आ राजनेता क परिभसो. अब चाल,चेहरा अउर चरित्र होखल राजनीति क परिभाषा नइखे रहि गइल. जे जतना चतुर, चालाक ….. होखी ऊ ओतने सफल राजनेता होई. ओकरे मान आ जगहा पार्टी आ जनता में ऊँच रही. एह बाति के आजुओ संघ वाला लोग पचा नइखे पावत.

आजु का दिने भाजपा नेता एह बदलल परिदृश्य में काम कइल चाहत बाड़ें बाकिर संघ के अधिकारी आजुओ उनुका के अपना चाल, चरित्र, चेहरा वाला चाबुके से हांकल चाहत बाड़न. एही चलते आजु येदुरप्पा, वसुंधरा, मोदी के आवाज बदले लागल बा. दिल्ली में बइठ के संघ येदुरप्पा पर दबाव डाल के उनुका के बदलवा त लिहलसि बाकिर का आजुओ ओहिजा राजनीति थिरा पवले बा का? भलही आजु सी बी आइ क चलते येदु अझूराइल बाड़न बाकिर उनुकर राजनैतिक प्रभाव संघ कम नइखे कर पवले. आ अइसने चलत रहल त जवन हालत कल्याणसिंह बिना भाजपा के यूपी में भइल उहे कर्णाटक में बिना यदु के होखी. वसुंधरा साफ कह दिहले बाड़ी कि ऊ अपना किहाँ संघ क दखल अंदाजी नइखी चाहत. ओहिजा पार्टी उनुके अंदाज में चली त संघ के अपना मोहरा गुलाबचंद कटारिया के लेके पीछे हटे के पड़ल. उत्तरोखंड में संघ क दबाव में भाजपा ठीक चुनाव घरी आपन मुख्य मंत्री बदल दिहलसि, भइल का? ओहिजा सत्तो गइल आ आजु ले विरोधी दल के नेता के नाम तय नइखे हो पावल.

नरेन्द्र मोदी के देश के लोग प्रधानमंत्री बनल देखल चाहत बा बाकिर संघ का इशारा पर गुजरात में आउट डेटेड नेता फेर उभरे लागल बाड़ें. जब सोनिया गाँधी क आशीर्वाद मिलला क बावजूद घर के भेदी शंकरसिंह वाघेला मोदी के कुछ ना बिगाड़ सकले त ई आउट डेटेड नेता का कर लीहें. संघ के बढ़त दकल का बारे में भाजपा के सोचे पड़ी तबहिए साल २०१४ में भाजपा के कामयाबी मिल पाई. २०१४ क भविष्य भाजपा के बा बाकिर ओकर कुछ समय खातिर संघ के बैशाखी के सहारा छोड़े के पड़ी. आजु के जमाना चाल, चेहरा, चरित्र क साथे साथ चतुर, चालाक……क बा.
(वसई रोड (मुंबई))


एह लेख में दिहल विचार एगो आम भाजपाई नेता क बा जे फल त खाइल चाहत बा बाकिर पेड़ काट के. जवना पेड़ पर ऊ फल उपजल बा ओह पेड़ के नकार के. आजुए ना शुरूए से भाजपा के समस्या अइसने नेता लोग रहल बा. संघ से अतना परहेज बा त कवन डाक्टर कहले बा कि भाजपा के ओसारा में पटाइल रहऽ! राह खुलल बा.

रहल बात येदु वसुधंरा के त संघ के राजनीतिक संगठन में बलराज मधोक, शंकर सिंह वाघेला, कल्याण सिंह जइसन नमूना मिलत रहल बाड़ें. अइसना नेता लोग के साफ समुझ लेबे के चाहीं कि भाजपा से संघ के अस्तित्व नइखे, संघ से भाजपा के अस्तित्व बा.

आम पाठक कह सकेलें कि अशोक भाटिया जी के लेख से अतने विरोध रहुवे त एकरा के प्रकाशित कइला के जरूरत का रहल? जरूरत रहल कि हर तरह के विचार के सामने ले आवल जाव. अगिला चुनाव देश के जीवन दशा तय करे वाला होखी. अबहियो जे ना चेतल से बाद में रोइयो ना पाई. समय के जरूरत बा कि संघ भाजपा के पूरा कमान अपना हाथ में ले लेव. भलही चुनाव में एक सीट ना जीत पावे भाजपा बाकिर संघ के अपना विचार धारा पर अड़े के पड़ी. भाजपा के सबले बड़का बेमारी इहे दोहरा चाल चेहरा वाला चतुर चालाक लोग ह. अइसना लोग से छुट्टी ना लिहल गइल त ई लोग भाजपा के भाजपा ना रहे दी कांग्रेस के बी टीम बना दी. आ जब कांग्रेसे के कवनो टीम चुने के बा त काहे ना एक नंबर के टीम चुनी जनता?

माफ करीं अशोक जी, आपके विचार नीक ना लागल.

– संपादक, अंजोरिया

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