अन्ना हजारे के साथ दिहल जरूरी बा

– पाण्डेय हरिराम

अबही क्रिकेट के खुमार बनले रहुवे आ शनिचर का दिने वर्ल्ड कप जीतला के बाद के जश्न के सम्मोहन आँखी में बसले रहल कि अन्ना हजारे सब कबाड़ा कर दिहलन. भ्रष्टाचार का खिलाफ ऊ जंग छेड़ दिहलन. जन लोकपाल विधेयक के मांग लेके अनशन पर बइठ गइलन. अब एह देश में भ्रष्टाचारो कवनो मुद्दा बा का कि एकरा के लेके अनशन कइल जाव ! आ अगर ई साचो बा तबहियो हमनी के एह मसला पर बात करे में आ अन्ना के साथ देबे में हिचकिचाये के ना चाहीं. हमनी का एकरा खिलाफ अउरी ताकत से आगा आवे के चाहीं. देश के घुन का तरे खा रहल भठियरपन हर आदमी खातिर बड़हन मुद्दा बा आ अइसन पहिले कबहु ना भइल. इहे ऊ समय आइल बा जब कोशिश कइल जाव त भ्रष्टाचार, भठियरपन, का खिलाफ असरदार कानून बनावल जा सकेला काहे कि एह समय कवनो राजनीतिक दल जनता के खीस का डर से एकर विरोध करे के हिम्मत ना जुटा पाई. भ्रष्टाचारी, भठियारा, त इहे चाहेले कि लोग भ्रष्टाचार का बात से उदासीन हो जासु आ सब कुछ भुला देव त ऊ देश के लूटे के धंधा में फेर से लाग जा सँ.

एहिजा एगो सवाल बा कि भ्रष्टाचार निरोधी एजेंसी सब कतना कारगर बाड़ी सँ ? का सीबीआई के अतना आजादी बा कि ऊ ऊंच ओहदा पर बइठल लोगन के भठियरपन पर कवनो कार्रवाई कर सके ? भा का सीवीसी का लगे एह भठियरपन से लड़े के ताकत बा ? आ कि भ्रष्टाचार रोके में मीडिया के भूमिका का बा ? अब बात आवता कि प्रस्तावित लोकपाल विधेयक पर भा ओकरा प्रावधानन पर. एह विधेयक में कहल गइल बा कि नौकरशाही सीवीसी के न्याय क्षेत्र में होखे आ राजनीतिज्ञ लोकपाल के. ई विधेयक न्यायपालिका पर कुछ नइखे कहत. अबही जवना बात खातिर आंदोलन शुरू भइल बा ओहमें मांग बा कि ई तीनों अंग नयका लोकपाल के न्यायक्षेत्र में होखसु. कारण कि भ्रष्टाचार के मामिलन में नौकरशाही अउर राजनीतिज्ञ मिलल होखेले. वइसहू कवनो केस में एहसे खाली कंफ्यूजने होखी आ अलग-अलग एजेंसियन के जांच नतीजा अलग हो गइल त कोर्ट में एकरा के मानल ना जाई.

संदेह बा कि जे लोग ई विधेयक बनवले बा आखिरकार उहो चाहत होखींहे कि विभ्रम बनल रहो. मौजूदा विधेयक में लोकपाल का लगे खाली सलाह देबे के पावर होखी. अगर लोकपाल के वाकई प्रभावी बनावे के बा त ओकरा लगे खुदे जांच के शुरुआत करे आ मुकदमा चलावे के ताकत होखे के चाहीं बिना केहू से इजाजत लिहले. विधेयक में लोकपाल के जानबूझ के बिनादाँत वाला आ बेअसर बनावे के कोशिश भइल बा. ई बात एकदम सही बा कि एह तरह के अधिकतर एजेंसी, जवना का लगे बस संस्तुति करे के अधिकार होला – चाहे ऊ सीवीसी होखे भा सीएजी भा फेर ट्राई – ऊ सगरी बेअसर होखेली सँ. एहमें सबले जरूरी बा कि देश के नुकसान करे वाला भठियारन से ओह नुकसान के भरपाई कइसे करवावल जाव. बाकिर प्रस्तावित विधेयक में एह बारे में कुछ नइखे कहल, का केहू के मुख्यमंत्री भा मंत्री के पद से हटा दिहले काफी होला ? ना. एहसे घोटाला घपला में गइल धन वापिस ना आई. हमनी के ई बढ़िया से तय कर लेबे के बा कि भठियरपन का खिलाफ जारी मुहिम में तनिको ढील मत आवे. अब अगर हमनी का पाछा हटत बानी जा त ई बेवकूफी होई आ ई काम उहे लोग कइल चाही जे देश के लूटल चाहत बा.

हमनी का अइसनका देश में बानी जा जहवाँ भीड़ के जुटल अपना आपे में बहुत मुश्किल होला, बशर्ते कि ऊ भीड़ क्रिकेट मैच देखे भा कवनो नहान मेला खातिर ना जुटल होखे. एहिजा नेतवन के अपना रैली में लोग जुटावे खातिर का का पापड़ बेले के ना पड़े. बाकिर अन्ना हजारे के अनशन में लोग के जुटल आ ओह अनशन से लोगन के जुड़ाव लाजवाब बा. ई उम्मीद जगावत बा कि एह देश में जवना तरह से बात आगा बढ़ रहल बा नेतवन के जमात ढेर दिन ले एकरा के हलुक बना के ना राख पाई.



पाण्डेय हरिराम जी कोलकाता से प्रकाशित होखे वाला लोकप्रिय हिन्दी अखबार “सन्मार्ग” के संपादक हईं आ ई लेख उहाँ का अपना ब्लॉग पर हिन्दी में लिखले बानी.

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