ऐतिहासिक किताबि ‘भोजपुरी साहित्य में महिला रचनाकारन के भूमिका’ के भव्य लोकार्पण भइल

समाज, संस्कृति आउर सभ्यतन के बनावे आ जोगावे में महिला लोगन के योगदान हमेसा से रहल बा. बात भाषा के होखे भा संस्कृति के, महिला लोग एकरा हमेसा से भरले-पूरले बा. महिला लोगन के योगदान हर भाषा, सभ्यता आउर संस्कृति में रहल बा. महिला लोगन के एही योगदान के बटोरे वाली ऐतिहासिक किताबि ‘भोजपुरी साहित्य में महिला रचनाकारन के भूमिका’ के भव्य लोकार्पण पिछला दिने गांधी शांति प्रतिष्ठान में भइल.
बतावत चलीं कि कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री अशोक लव किताबि के उपयोगिता बतावत कहलें कि सर्व भाषा ट्रस्ट के उद्देश्य अब सभका सोझा बा, ओहिंजे मुख्य अतिथि पं. हरिराम द्विवेदी एकरा के मील के पत्थर बतवलें आ कहलें कि अइसन किताबि से भोजपुरी के जरूर कल्याण होखी. ऐतिहासिक पुस्तक ‘भोजपुरी साहित्य में महिला रचनाकारन के भूमिका’ के प्रकाशन ‘सर्व भाषा ट्रस्ट, दिल्ली’ कइले बा. एह किताबि के संपादन डॉ सुमन सिंह, केशव मोहन पाण्डेय आ जयशंकर प्रसाद द्विवेदी कइले बाड़ें. एकरा लोकार्पण का बेरा वक्ता लोग एकरा उपयोगिता आ महत्व के रेघरियवलें. ओहिजे एकरा विषय-वस्तु के प्रेरको बतवलें. वक्ता लोगन में डा. सुनीता कहलीं कि एह ऐतिहासिक किताबि के पढ़िके सभे के गरब होखी. एह किताबि में हर तरह के आ हर भाव के आलेख बा. साँचो अइसन किताबि के भोजपुरी में जरूरत रहल ह. रंगश्री के संस्थापक महेंद्र प्रसाद सिंह कहलें कि एह किताबि में महिला साहित्य पर समीक्षा बा, चर्चा बा आउर महिला लोगन के रचित कहानी, कविता आ ग़ज़लो बा.
मैथिली-भोजपुरी अकादमी के सदस्य आ प्रवक्ता डा. मुन्ना के. पाण्डेय किताबि के अकादमिक महत्त्व के बतवलें आ कहलें कि सभे के एह किताबि के दिल खोलके सोवागत करे के चाही. राजीव उपाध्याय, आ डॉ नीतू कुमारी नूतन एह किताबि के बरियार समीक्षा रखली.
एकरा पहिले विषय प्रवर्तन करत केशव मोहन पाण्डेय एह किताबि के कल्पना आउर रचनाकारन के सहयोग के संगे एह किताबि के एह स्वरूप के विस्तृत जानकारी दीहलें. उद्घटनकर्ता श्री अशोक श्रीवास्तव के संगे विशिष्ट अतिथि आ विद्वतजन उदेश्वर सिंह, कमलेश कुमार मिश्र, सतेन्द्र यादव, श्री सतीश त्रिपाठी डा. नीतू कुमारी नूतन किताबि के खाति आपन शुभकामना दीहलें. कार्यक्रम के अंत में जे पी द्विवेदी आगंतुक लोगन के प्रति धन्यवाद ज्ञापित कइलें. कार्यक्रम के सफल संचालन सर्वेश तिवारी, इंदुमति मिश्र आ शशिरंजन मिश्र जी कइलें. समापन राष्ट्रगान से कइल गइल.

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