कहाँ जात बा संसार

– नूरैन अंसारी

आजकल काहे लोगवा खुद से नाराज लागत बा.
बड़ा बदलल-बदलल सबकर मिजाज लागत बा.
लोग मवुरा के बिगड़ले बा मुहवा के रौनक,
बुझाता हंसला पर कौनो बेयाज लागत बा.
अपने घर में लोगवा काटत बा बनवास,
गरज के मारल इ पूरा समाज लागत बा.
लोग जिअत बाटे जिनगी बिना बिधि-बिधान के,
तनी-तनी बात में डॉक्टर के इलाज लागत बा.
दिल के रिश्ता के मरम कहा बुझत बा केहू,
हाथ मिलावल बस रश्म -रिवाज लागत बा.
कहा जात बाटे हे भगवन तहार इ संसार,
जहा बेकार में लोग के पूजा नमाज़ लागत बा.


नूरैन अंसारी के पिछलका रचना

2 Comments

  1. Kapil Verma

    Noorain Ji pranam,

    Ka baat ba ji..rawua har ek shabd mein sachchai jhalakat ba..bahoot sunder rachna..

  2. omprakash amritanshu

    बदलत रीति-रिवाज़ बाटे, बदलत बा जमाना !
    जुटल बा जुगाड़ में सभे ,लूटे के खजाना !!

    अंसारी जी भाव पूर्ण लागल राउर रचना .

    गीतकार
    ओ.पी.अमृतांशु

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