– केशव मोहन पाण्डेय
(1)
ग़ज़ल
खुशहाल जिनगी भी जहर हो जाला।
दिल के दुआ जब बेअसर हो जाला।।
लाख जतन कइला पर भी मिले ना मंजिल,
डगमगात कदम जब कुडगर हो जाला।।
सुन्न अंखियन से छलक जाला समुन्दर,
हिया में याद के जब कहर हो जाला।।
झोहे केतनो अन्हरिया साँझ के बेरा त का,
उजास होइए जाला जब सहर हो जाला।।
गरूर केतनो करे केहू मातल जवानी पर,
एक दिन उमीरिया के असर हो जाला।।
जिनगी में आवेला अइसन ठाँव कई,
सगरो जिनगिया ओही के नज़र हो जाला।।
2
ग़ज़ल
कतहूँ लइकन के लोरी सुनावे केहू।
याद बन अचके अंखियन में आवे केहू।।
नेह अइसन कहाँ जग में दोसर मिली,
ठंडा माड़-भात फूँक के खिआवे केहू।
कसूर कवनो होखे, ढाँप लेस अँचरा तरे,
माई से आ के जब ओरहन सुनावे केहू।
गुजार देहनी जिनगी के उमीर एतना,
अपना सामने तबो लइके बतावे केहू।
लपट फइलल बा सगरो जहां में अगर,
एकाध बूंद से केतना बुतावे केहू।
चेहरे के किताब पढ़ समझ जाए जे,
ओसे कइसे दोसर बहाना बनावे केहू।।
तमकुही रोड, सेवरही, कुशीनगर, उ. प्र. के केशव मोहन पाण्डेय, एम.ए.(हिंदी), बी. एड.हउवन. जुलाई 2002 से मई 2009 ले एगो साहित्यिक संस्था ‘संवाद’ के संचालन कइलन, अलग अलग मंच ला दर्जनो नाटक लिखले आ निर्देशित कइले, दैनिक जागरण, हिंदुस्तान आ अउरी पत्र-पत्रिकन में डेढ़ सौ से अधिका लेख, आधा दर्जन कहानी, आ अनेके कविता प्रकाशित. आकाशवाणी गोरखपुर से कईगो कहानियन के प्रसारण, टेली फिल्म औलाद समेत भोजपुरी फिलिम ‘कब आई डोलिया कहार’ के लेखन-निर्देशन, अनेके अलबमन ला हिंदी, भोजपुरी गीत रचना. साल 2002 से शिक्षण में लागल आ अब दिल्ली में बिरला एड्यूटेक में हिंदी पाठ्यक्रम के निर्माण आ स्वतंत्र लेखन.
संपर्क – kmpandey76@gmail.com
श्री श्री श्री 1008 श्री गजलकार माननीय केशवानंद जी महराज हार्दिक बधाई स्वीकार करीं…देसज सब्दन के अनूठा परयोग करत राउर गजल दिल की करीब ना दिल में अउर दिल से बा।। बहुत-बहुत बधाई।।
हम त पूरा गँवई हईं..अउर हे लाइनन पर त फिदा बानी हम—-
नेह अइसन कहाँ जग में दोसर मिली,
ठंडा माड़-भात फूँक के खिआवे केहू।
पाण्डेय जी,
नमस्कार!
आपके आशीष पढ़ के मन गदगद हो गइल।
शुरुआत के लाइन बड़ा ऊँचा बा, – – हमरा के इतना बोझ से मत दाबी।
हिम्म्त बढ़ावला खातिर धन्यवाद!
Bahut niman kavita ba .
bahut sundar bhojpuri gajal.sabdan ke atna sundr aur stik pryog sahi me ttariphekabil ba. dhanybad.