खोंच के दोहा

– मिर्जा खोंच

आपन बड़ाई हर घरी, हरदम बड़का बोल
तब जाके ए दुनिया में लागी तोहर मोल.

रातो दिन पढ़ते रहल, बाकिर भइल ना पास
भइल पैरवी तब जाके, जागल ओकर भाग.

लुट के इहवाँ छुट बा, लूट सके त लूट
तब जाके भगवन के, मार तनी सैलूट.

खोंच मियां ऊ मर गइल, मांगे जे सरमाय
ओकर जीवन सफल भइल, जे मांग मांग के खाय.

माई के पहिले सास के, रोजे करीं सलाम
उनका बेटी के चलते भइनी हम त गुलाम.

भाई के धन मार, जे केहू भी खाई
खोंच मियां के दावा बा, सीधे सरग उ जाई.


(मिर्जा खोंच साहेब भोजपुरी हास्य व्यंग के कवि हउए)

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