– अशोक कुमार तिवारी


हो गइल छीछिल छुछुन्नर, दिल कहाँ दरियाव बा,
अब उठावे ना, गिरा देबे में सबकर चाव बा।

लगल आगी रहे धनकत भले, हमरा ठेंग से
जर रहल बा झोपड़ी, सूतल सूचना गाँव बा।

बात-बीतल हो गइल बाटे धरम-ईमान के
शेष बा लड़ले-लड़ावल, अब कहाँ फरियाव बा !

हो सकत बा, न्याय के मन्दिर रहल होई कबो
अब कसाईघर भइल, छूरी गँड़ासा दाँव बा !

देख के दउरल धधाइल धइल जबरन बाँह में,
भाव के अभिनय ह बस, भीतर कहाँ ऊ भाव बा!


ग्रा0पो0 सूर्यभानपुर, बलिया-277216

1 Comment

  1. amritanshuom

    जय भोजपुरी। जय -जय भोजपुरी।

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *