भउजी हो !
का बबुआ ?
घर आ मकान में का फरक होला ?
हर घर मकान हो सकेला बाकिर हर मकान घर ना हो सके. दोसरा तरह से कहीं त कवनो मकान राउर घर हो सकेला बाकिर जरूरी नइखे कि राउर घर राउर मकानो होखे.
घनचक्कर बनावे में तोहर कवनो सानी नइखे. सोझो सवाल के जबाब अतना घूमा के दे देलू कि माथा घूम जाला.
आ रउरा जवन सवाल करेनी तवना के जबाब दोसरा तरह से दिहलो ना जा सके. रउरा हमरा से सवाल कइनी कि घर आ मकान में का फरक होला. एकर जतना आसान आ सहज जबाब हो सकत रहुवे तवने त हम बतवनी ह. अब अतना सहज जबाबो रउरा के असहज कर दिहलसि त आईं एकरा के दोसरा तरह से समुझीं. रउरा अपना घर के बेच सकीलें का ?
ना. काहें कि ऊ हमरा बाबूजी का नाँवे बा आ अपना जिनिगी में उहे एकरा के बेच सकेलें.
त समुझिए गइनी कि घर आ मकान में का फरक होला ! जहाँ रउरा रहे के अधिकार होखे ऊ राउर घर होला बाकिर जवना के मिल्कियत रउरा लगे होखे ऊ राउर मकानो हो जाला. जइसे कि ई राउर घर ह. जब मन करे आईं, रहीं. बाकिर मकान त ई रउरा भईया के ह. हमरो ई घरे ह, काहे कि अबहीं ले राउर भईया एकर मलिकाँव हमरा के नइखन दिहलें. एही तरह एगो महीन फरक होला आवास आ निवास में. निवास स्थायी सुभाव वाला होला, आवास अस्थायी. आजु हे शहर में बानी काल्हु हो शहर में. राउर आवास बदलत रहेला बाकिर निवास के पता स्थायी होला. आवास के रउरा डेरो कह सकीलें. कह का सकीलें लोग कहबे करेला. डेरा जहाँ रउरा ठहरल बानी तवन राउर डेरा होला. डेरा में रहल जाला बाकिर रहे के अधिकार ना होखे. रउरा तहिए ले ओह डेरा में रह सकीलें जहिया ले ओह डेरा के मालिक रउरा के रहे देव.
ऐ भउजी, एगो अउर सवाल पूछ लीं ? कहीं अइसन त नइखे कि तू वकालतो के पढ़ाई पढ़ले बाड़ू ?
ना बबुआ. लइकियाहे में बाबूजी बिआह दिहलन. आ ससुरा में आके चउका–चूल्हा में अझूरइला से समय बाचों तब नू कवनो पढ़ाई–वढ़ाई होखो. बाकिर ई सवाल रउरा पूछे के मन कइसे क गइल.
एहसे कि तू जइसन घुरमिचियाह जवाब देत रहेलू ऊ सोझवा के बस के बात नइखे.
ऐ बबुआ, सोझवा होखीं बाकिर सोझबउक ना.
हँ भउजी. तबे नू हमार सास कबो ना गवली कि अइसन बउरहवा सर से गउरा ना बिअहबो. भले गउरा रहसु कुँवार !
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