जब गधघोड़ा के अस्तबल के मालिक बना दीहल जाव

खरतंत्र के कहानी

जब गधघोड़ा के अस्तबल के मालिक बना दीहल जाव

हॉर्स ट्रेडिंग अपना देश में वइसही मशहूर हवे जइसे एहिजा के लोकतंत्र. काहे कि एही घोड़न का सहारे कई बेर सरकार बनेला आ कई बेर गिरे से बचा लीहल जाला. आजु एही घोड़न के कहानी सुनावे खातिर हम पंचतंत्र की कहानियां के तर्ज पर खरतंत्र के कहानी ले के आइल बानी.

बहुत जमाना पहिले के बात ह जब एगो जंगल में घोड़न के राह रहुवे काहें कि ओह घरी जंगल में कवनो शेर मौजूद ना रहल आ संख्याबल का सहारे घोड़ा जंगल के राजा बन गइले सँ. आ जवना घोड़ा के ई बादशाहत मिलल ऊ कुछ अइसन इंतजाम करा गइल कि आगहूं ओकरे परिवार के कवनो घोड़ा भा घोड़ी जंगल के बादशाहत सम्हारी. एक बेर एगो युवराज दोसरा जंगल में घूमे गइल त ओहिजा से एगो घोड़ी के लगाम धइले आइल. ई विदेशी घोड़ी बहुत अरसा ले अपना मौजूदा जंगल से अपना का ना जोड़लसि. बाकिर संजोग कुछ अइसन बनल कि ओकरा एह जंगल के सदस्यता लेबे के पड़ गइल. तबले ओकर बालोबच्चा हो गइल रहले सँ आ राजा के बेटे राजा होखी बेटी ना का तर्ज पर ओकरा बेटा के बादशाह बनावे के जुगत भिड़ावल शुरु हो गइल. आ ई युवराज घोड़ा घोड़ा कम गधघोड़ा बेसी रहल काहे कि ओकरा में पता ना कहाँ से गदहपन के जीन समा गइल रहुवे. देखे में पहिले त उहो घोड़ा जइसन लउकल करे बाकिर बहुत धेयान से देखला पर लोग चकरा जाव कि ई घोड़ा ह कि गदहा. से एगो नया नाम गढ़ल गइल गधघोड़ा. ना त बाप गधघोड़ा रहले ना माई, ना दादा दादी ना नाना नानी, बाकिर युवराज गधघोड़ा का नाम से जानल जाए लागल.

एही बीच गिर का जंगल से एगो शेर जंगल में आ गइल आ पूरा जंगल पर काबिज हो गइल. घोड़न के दुल्लति खा खा के परेशान बाकी जनावर सब हँसी खुशी शेर के आपन राजा मान लिहलें. अब परेशान होखे लागल गधघोड़ा. ऊ कतनो चाहे कि घोड़न के समूह अपना दुल्लतियन का सहारे एह शेर के भगा देव. बाकिर घोड़ा एक जुट होखते ना रहलन स. जब परेशानी हद से बेसी बढ़े लागल त गधघोड़ा बाकी घोड़वन के धिरावे लागल. कहलसि कि हम जानत बानी कि तहरा लोगन में से कुछ बारात के घोड़ा हउँवे सँ आ कुछ रेस के. आ कुछ घोड़ा लंगड़ो बाड़े सँ. रेस के घोड़न आ बारात के घोड़न के त देर सबेर अलट पलट के काम चलावल जा सकेला बाकिर ई लंगड़ घोड़न के झुण्ड से निकाल बाहर कइल बहुते जरुरी हो गइल बा. काहे कि ई लंगड़ घोड़ा अपने त कुछ करऽ सँ ना आ बाकियो घोड़न के बहकावत सहकावत रहेले सँ.

अब लंगड़ आ बूढ़ घोड़न पर त जइसे आफत आ गइल बा. एह उमिर में ऊ कुछ करियो ना सकऽ सँ आ कहीं जाइयो ना सकऽ सँ. दोसर कवनो झुण्ड ओकनी के सकारी ना आ पुरनका झुण्ड निकाले पर आमादा बा. कन्फ्यूजन रेस के आ बारातो के घोड़न का बीच बढ़ गइल बा काहें कि सगरी अपना के रेसे के घोड़ा होखे के दावा करे लागल बाड़ें सँ. आ ई गधघोड़ा एह बात के समुझिये नइखे पावत कि एह घोड़ा झुण्ड के कइसे फेर पहिले जइसन बरियार बनावल जाव. दुर्भाग्य से गधघोड़ा के माईयो बूढ़ा गइल बाड़ी आ उहो कुछ करे जोग नइखी रह गइल.

कुछ घोड़न के इहो लागत बा कि कहीं अइसन त ना कि ई गधघोड़ा गिर का शेर का साथे कवनो समझौता कर लिहले बा. काहे कि गिर के शेर बाकी घोड़न पर चाहे जतना हमला कर लेव एह गधघोड़ा पर हमेशा छोह के नजर राखेला.

पाठक लोग के खरतंत्र वाली एह कहानी से हम बतावल चाहत बानीं कि कबो भुलाईयो के दोसरा जगहा से आइल कवनो सदस्य के सरदारी ना देबे के चाहीं. अगर खरतंत्र के कहानी रउरा नीक लागल होखे त नीचे टिप्पणी कर दीं. कोशिश करब कि एही तरह के अउरिओ कहानी परोसब.

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