– पाण्डेय हरिराम
आजुकाल्हु पश्चिमी देशन, खास कर अमेरिका में एगो बहस चलत बा कि का फांसी के सजा जायज ह ? अमरीका में 1970 से पहिले फांसी के सजा पर पाबंदी रहे बाकिर 1970 में सुप्रीम कोर्ट ओकरा के लागू कर दिहलसि आ अब फेरु एहपर सवाल उठावल जात बा. लेकिन ओहमें कतहियों ई बहस नइखे कि देशद्रोहियन के फांसी ना दिआव. लेकिन हमनी का देश भारत में संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु के माफ करवावे के घटिया राजनीतिक स्वार्थ ला राष्ट्रीय दल कांग्रेस भाजपा आ स्थानीय दल नेशनल कान्फ्रेंस अउर पीडीपी जवना तरह के शर्मनाक भूमिका निभवले ओकरा के देखत इहे कहल जाई कि एह सब में राष्ट्रीय स्वाभिमान अउर राष्ट्रप्रेम के कवनो जज्बा नइखे.
एक त अफजल गुरु के माफ करे वाला प्रस्ताव विधानसभा में आवहीं के ना चाहत रहे आ अगर आइये गइल त चारों राजनीतिक दल के फर्ज बनत रहे कि ऊ सर्वसम्मति प्रस्ताव पारित करवते कि अफजल के जल्द से जल्द फाँसी दे दिहल जाव. बाकिर ईलोग अइसन माहौल बनवलसि कि कवनो चरचे ना हो पावे. भाजपा के नारेबाजी ओह प्रस्ताव के विरोध मानल जा सकेला बाकिर कांग्रेस प्रस्ताव के विरोध कइल का जगहा भाजपा विधायकन के सदस्यते खतम करावे के माँग करे लागल. कांग्रेस के ई माँग कवनो दोसरा दिने दोसरा मौका पर जायज मानल जा सकत रहे बाकिर ओह दिन एकर मकसद रहल कवनो तरह से चरचा टार देबे के. काहे कि नेशनल कान्फ्रेंस के सहयोगी कांग्रेस के मालूमे नइखे कि एह प्रस्ताव के विरोध कइल जाव कि समर्थन.
जहां ले नेशनल कान्फ्रेंस के सवाल बा त ई आग ओकरे लगावल ह आ राजीव गांधी के हत्यारन को क्षमादान देबे के तमिलनाडु एसेंबली के प्रस्ताव के बाद उमर अब्दुल्ला शोशा के छोड़ल शोशा निर्दलीय विधायक शेख अब्दुल राशिद ले उड़ले. विपक्षी पीडीपी के विधायक एह क्षमादान के समर्थन में रहले. लोकतंत्र में न्याय के हर दरवाजा सबका ला खुलल रहे के चाहीं, मगर अफजल, भुल्लर आ राजीव गांधी के हत्यारन के माफी दिलवावे खातिर वोट के जवन गंदा राजनीति कइल जात बा ऊ आगा चल के देश खातिर खतरनाक होखी. हमनी के राष्ट्र के छवि पहिलही से एगो डरपोक राष्ट्र के बन गइल बा आ आहिस्ता-आहिस्ता ई छवि दब्बू नालायक देश के बन जाई.
एहले बेसी शर्म के बात का हो सकेला कि चार-छह गो हथियारबंद लोग ओह तरफ से आवेले, हमनी के संसद के उड़ावे के साहस करेले, हाथ में रायफल लिहले सैकड़ों लोग के मार देबेले आ हमनी के नेता ओकनी के बचावे में लागल बाड़े. ई देश के जनता के मुँह पर तमाचा बा आ कानून से बदतमीजी.
जाके बैरी चैन से सोये
वाके जीवन पर धिक्कार
(4अक्टूबर2011)
पाण्डेय हरिराम जी कोलकाता से प्रकाशित होखे वाला लोकप्रिय हिन्दी अखबार “सन्मार्ग” के संपादक हईं आ उहाँ का अपना ब्लॉग पर हिन्दी में लिखल करेनी.
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