डायन आ पनौती में कवनो आ का फरक होला


भउजी हो !

का बबुआ ?

डायन आ पनौती में कवनो आ का फरक होला ?

बहुते टीवी देखे लागल बानी का ? देखीं बाकिर हो सके त राजनीतिक झकाझूमरी के महतियावलो सीखीं.

ठीक बा भउजी. बाकिर जवन पूछनी ह ओकर जबाब त दे दऽ.

अउर कुछ जाने से पहिले ई जान लीं कि पनौती आ डायन उभयलिंगी शब्द हईं स. पनौती मरदो हो सकेला आ औरतो. ओही तरह डायन मरदो हो सकेला आ औरतो. अब ई जान लीं कि जेकरा महज मौजूदगी से कुछ खराब घटित हो जाव ओकरा के पनौती माने लागेला लोग. जबकि डायन के महज मौजूदगी से कुछ ना होखे, ओकरा कुछ कइला से खराब घटना होला. जइसे कि अगर कवनो कनिया का अइला का बाद से परिवार में, गाँव-टोला में खराब घटित होखे लागेला त ओकरा के पनौती माने के चाहीं. बाकिर अगर कवनो घटना ओकरा साजिश से घटल होखे त ओकरा के डायन कहे के चाहीं. दोसरा तरह से कहीं त हर डायन पनौती होले भा होला, जबकि हर पनौती के डायन ना कहल जा सके.
अब एगो हमरो सवाल बा. ई पनौती आ डायन वाली चरचा आजु काहे उठवनी ह ?

कुछ दिन पहिले वर्ल्ड कप क्रिकेट फाइनल में टीम इण्डिया के हरला का बाद राहुल गाँधी के बयाम आइल कि मैच त टीम जीतिये लीत बाकिर एगो पनौती के आ गइला का चलते ओकर हार हो गइल. एकरा बाद से भाजपा के लोग पुरान-पुरान घटना-दुर्घटना उलीचे लागल बा लोग. कहे लागल बा लोग कि जब बरीसन पहिले भइल एशिया कप हॉकी फाइनल में भारत के टीम पाकिस्तान से हार गइल रहुवे तब ओह घरी के पीएम इन्दिरा गाँधी स्टेडियम में मौजूद रहली. त का उहो पनौती रहली ? आ जब कवनो कनिया के अइला का बाद ओकर देवर के मौत हो जाव, सासु के गोली से भून दीहल जाव, भतार के बम से उड़ा दीहल जाव त ओह कनिया के का कहे के चाहीं – पनौती कि डायन. एकरा बाद हमरा मन में सवाल उठल कि डायन खाली औरते होली सँ कि मरदो डायन होखेलें. ओही तरह पनौती मरद होला कि औरत.

एगो सलाह देत बानी. महलन के राजनीति में आपन दामन बचा के राखे के चाहीं. राजनीति करेवाला त कारसेवकन के गोली मरवावे वाला के समय पड़ला पर पद्म पुरस्कारो दे सकेलें.

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