– संतोष कुमार
कलजुग के करिखा में कुल्ही
करिया गइल बा
जात-पात के बीच खेत अरिया
धरिया गइल बा
एहीं में नाता रिश्ता भुलाइल बा
जब से आखिं में चरबी छपाइल बा
चरबी गुमान के
चरबी लमहर मकान के
सभे धधाइल बा
सभे अगराइल बा
एही में नाता रिश्ता भुलाइल बा
काकी/भउजी/मामी/ सबद कहीं
कोना में कोंहरत बा
केहू निमना से
सुने ला लहरत बा
अब ओकरा जगही
मम्मी/ आंटी/ भाभी सबद
गभुआइले निकलत बा
सुनवइया
डेराइल बा
नाता रिश्ता एहीमें भुलाइल बा
पइसे से नाता रिश्ता बा
दुनिया जहान बा
धरम ईमान बा
त के केकर भईया
सबले बड़ रूपइया
इहे गुमाने मन अझुराइल बा
एही में केनहू नाता रिश्ता भुलाइल बा
सेराइल बा
गोलहथी नियर पलाइल बा
नाता रिश्ता
kub niman
priya babu santoshji saadar pranam raur nata-rista kamal k dehleba jogadwala logan ke muh par tamacha ba bakir behaya ke kavan batba lag raho tab nu…
बोथा गइल जियरा संतोष जी।
bahut niman lagal raur kavita santosh bhai… jai ho… jai bhojpuri
NATA RISHTA T AJHURAEELA KE HI NAAM H.