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नीक-जबून-14

– डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल

दहेज के बाइ-बाइ

बिहार के एगो समाचार काफी चर्चित भइल. अब बिहार में सरकारी नौकरी खातिर चुनल गइल जुवकन के दहेज लिहला पर नौकरी से तुरंत बर्खास क दिहल जाई. एकरा के नु कहल जाला सरकार ! एह कठोर कार्यवाही के खबर पढ़िके बड़ा संतोष मिलल. फेरु का देखतानी कि एह आशय के आकर्षक विज्ञापन आवे लगले सन. कई जगह से आदर्श बियाह के खबर छपे लगली सन. हमार उत्सुकता बढ़े लागल, काहेंकि ई हमार एगो सपना रहे. “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” के सफलता भ्रूण हत्या के तकनीकी कारनन प नजर रखला में ना के बराबर बा. असली त दहेज पर रोके लगवला में बा. जब केहू अपना बेटी जोग बर ना खोज पाई, अपना आँखि के पुतरी के जइसे-तइसे केहूँ का सङे गठजोड़ क के बिदा क दिही आ दू दिन लोर ढरका के अपना मन के शांत क लिही त कइ दिन ई आदर्श रही ? बिहार का मुख्यमंत्री के ई कार्यवाही एह दिसाईं एगो बरियार विकल्प लेके आइल बिया.  अउर त अउर उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी जी के बेटा के सादा आ किफायती बियाह एगो आदर्श बियाह का उदाहरन का रूप में चर्चित आ प्रतिष्ठित हो रहल बा. एकर जतना बड़ाई कइल जाई, कम होई. भगवान दिने-दिने एहमें बढ़ोत्तरी करसु, लोग-बाग के नीयत बदलो, हमार बेटी खिलखिला के खूब हँसऽ सन- भगवान से ईहे हमार प्रार्थना बा.

मझरिया के रामलीला

बचपन में हम अपना मामागाँव (उपाध्यायपुर) आ बड़की दीदी किहाँ (मझरिया) ढेर जात रहीं. मझरिया में साले-साल रामलीला होत रहे आउर हम शुरुए से अंत तक ओहिजा रामलीला देखत रहीं. सभसे आगे जाके बैठत रहीं. दिन भर एकर तेयारी होखे. बता पावल कठिन बा कि तब मन में कतना कल्पना उठत रही सन, कतना उत्साह रहत रहे मन में, कतना आनंद आवे ! आजुओ मझरिया में रामलीला बन्न नइखे भइल. भलहीं आजु रंगमंच के दुनिया बदल गइल होखे बाकिर लोग-बाग ऊहे बा आउर मनो ऊहे. आजु बरिसन बाद जब ओही रामलीला के कुछ क्लिप मिलल हा त अपना मित्र-मंडली में खूब शेयर कइलीं हा. लागल हा जइसे बचपन लवटि आइल बा.

पचकोसवा के लिट्टी चोखा नाहीं बिसरी

      आजु बक्सर के पचकोस मेला ह. बक्सर में त जमिके लागहीं के रहे, घरे-घरे लिट्टी चोखा लागल आ खूबे लागल. अगरा-अगरा के लोग खाइल आ गावल-

माई बिसरी भले बाबू बिसरी

पचकोसवा के लिट्टी चोखा नाहीं बिसरी.

आजु का दिने सभ के अपना-अपना घरे लिट्टी-चोखा बना के जरूर खाएके चाहीं. आजु के खइला के बड़ा महातम ह. आजु जे ई परसाद अपना घर बना के खाई, अस मन बूझीं जे भगवान रामचंद्र के किरिपा उनका आ उनका परिवार पर हरमेश बरिसते रही. हमनी किहाँ ईहे मानल जाला. हम जइसहीं एह पद के लाइन कढ़वलीं कि हमार एगो मित्र तुरत प्रतिक्रिया दिहले- चार्वाक दर्शन ! उनुकर कहल गलत ना रहे काहेंकि एह लोकोक्ति में शरीरे के त महत्त्व दिहल गइल बा. बाकिर तनी आउर भीतर तक गइला से स्पष्ट हो जाई कि एह लिट्टी के आकर्षण का मूल में ओकर स्वाद नइखे बलुक भगवान रामचंद्र जी के भक्ति के भाव बाटे आ एहीसे हमनी का संस्कृति में ई रचि-बसि गइल बा.

हत्या में रक्षा के भारतीय खोज

ई जवन कहल जाला कि हमनी के भारतीय संस्कृति अनेकता में एकता के संस्कृति हटे, सोरहो आना सच बा. हम त कहबि कि अतने ना, विचित्र सोचवाला लोगो एहिजा एक से एक मिलेले, जेकरा आगा-पीछा हुँआ-हुँआ करेवाला लोगन के एगो नीमन कतार बनि जाला. हमरा आजु तक ना बुझाइल कि कला का नाँव पर नया आउर एगो काल्पनिक इतिहास परोसि के फिल्म निर्माता-निर्देशक का कइल चाहतरन. भारतीय लोगन के स्वाद पुरान आ आउटडेटेड हो गइल बा, एहसे नया स्वाद के आविष्कार करतारन लोग ? रानी पदमावती का चरित्र के हलुक-फलुक देखाके हमनी का चरित्रबोध के असभ्य आ दयनीय बतावल चाहतरे लोग ? अउर त अउर एह चरित्र-हनन आ राष्ट्रीय स्वाभिमान के विसर्जन माने सीधे-सीधे कहीं त एह आस्था आ विश्वास का हत्या में पिछलगुआ बुद्धिजीवी लोग रक्षा के खोज जारी रखले बाड़न. ई कम उपलब्धि बाटे हमरा देश के ? अइसना रत्न लोगन के त कम से कम पद्म सम्मानन से नवाजे के चाहीं. अइसन सकारात्मक दर्शन त कतहीं खोजले ना मिली.

ऊँ में भारतीय गंध

कुछ दिन से हम सोशल साइट पर थैंक्स आ ओके खातिर ॐ के प्रयोग शुरू क देले बानी. थैंक्स में हमरा आपन गंध ना मिलत रहे आ अङुठा देखावे भा ओके कहला का जगह ॐ कहल नीमन, सार्थक आ सुखद लागल. देखतानी कि लोग धीर-धीरे ई प्रयोग पसन्न करे लागल बाड़न. हमरा आपन भारतीये गंध नीक लागेला, अब जेकरा जबून लागत होखे ओकरा के हम का कहि सकींले. ऊँ.

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