RRM-Vimal
-डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल
Vasant
लागेला रस में बोथाइल परनवा
ढरकावे घइली पिरितिया के फाग रे.

धरती लुटावेली अँजुरी से सोनवा
बरिसावे अमिरित गगनवा से चनवा
इठलाले पाके जवानी अँजोरिया
गावेला पात पात प्रीत के बिहाग रे.

पियरी पहिरि झूमे सरसो बधरिया
पछुआ उड़ा देले सुधि के चदरिया
पिऊ पिऊ पिहकेला पागल पपिहरा
कुहुकेले कोइलिया पंचम के राग रे.

मधुआ चुआवेले मातल मोजरिया
भरमेला सब केहू छबि का बजरिया
भींजेले रंग आ अबीर से चुनरिया
गोरिया बुतावेलिन हियरा के आग रे.

2 Comments

  1. निमन सिंह

    बड़ी मनभावन लुभावन बा इ कबिता

    Reply

Leave a Reply to निमन सिंह Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *