Holi ke Rang
-डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल

फागुन के आसे
होखे लहलह बिरवाई.

डर ना लागी
बाबा के नवकी बकुली से
अङना दमकी
बबुनी के नन्हकी टिकुली से
कनिया पेन्हि बिअहुती
कउआ के उचराई.

बुढ़वो जोबन राग अलापी
ली अङड़ाई
चशमो के ऊपर
भउजी काजर लगवाई
बुनिया जइसन रसगर
हो जाई मरिचाई.

छउकी आम बने खातिर
अकुलात टिकोरा
दुलहिन मारी आँखि
बोलाई बलम इकोरा
जिनिगी नेह भरल नदिया में
रोज नहाई.

rrvimal

3 Comments

  1. ashu,muscat

    acha ba, maza aa gail

    Reply
  2. omprakash amritanshu

    नमस्कार सर.
    धन्यवाद। रउरा हमार कार्टून पसंद आवत बा।
    असल में रउरे सभे के आशिर्बाद हउए. ना त हमके कहाँ ओतना ज्ञान बा।

    Reply

Leave a Reply to omprakash amritanshu Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *