बिहार-झारखंड में सेंसर बोर्ड बनावल जरूरी बतवलन मनोज तिवारी

भोजपुरी फिलिमन में आ गीतन में फूहड़ता पर अब सवाल ना सजा होखे के चाहीं. एह पर अंकुश तबहिये लगावल जा सकी जब बिहार आ झारखंड में फिल्म सेंसर बोर्ड बनावल जाव. ई बात कहत मनोज तिवारी कहलन कि संगीत से संस्कार आ संस्कार से समाज के पता चले ला. हमरा बहुत दुख हो ला, जब हम आजकल के भोजपुरी गीत सुनेनी. ई भोजपुरी समाज आ संस्कार, दुनो के दुख पहुंचावऽता.

मनोज तिवारी आगे कहलन कि भोजपुरी सिनेमा आ संगीत दुनु पइसा के दलदल में धँस चुकल बा जवना चलते चंद लोग भोजपुरी के बदनाम करे खातिर बिहार आ झारखंड में फूहड़पन परोसत बा. हालांकि इहो साँच बा कि कुछ वितरको ई बात कहि के निर्माता निर्देशकन पर दबाव बनावेले कि एहिजा फूहड़े गीत संगीत वाला फिलिमन के माँग बावे. बाकिर अइसन बात नइखे. एहिजा के जनता शुरूवे से फूहड़पन के विरोध करत आइल बिया. कहलन कि भोजपुरी सिनेमा आ संगीत के बचावे खातिर बिहार आ झारखंड में सेंसर बोर्ड बनावे के पड़ी जवना का अनुमति का बादे कवनो कैसेट सीडी भा फिलिम बाजार में उतर सके. ई बात कहत मनोज तिवारी भावुक हो गइलन आ कहलन कि भोजपुरी का हर क्षेत्र में अइसन होखे कि लोग गर्व से कह सके कि हम भोजपुरिया हई.


(शशिकांत सिंह रंजन सिन्हा के रपट से)

1 Comment

  1. sunil patel

    Lagal rahi sensor board banawal bahut jaruri ba.

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