भाषा भोजपुरी ला अर्पित उमरिया

काल्हु सिवान में भोजपुरी अकादमी का तरफ से आयोजित कवि सम्मेलन के उद्घाटन करत विधायक विक्रम कुँअर कहलें कि भोजपुरी में हर तरह के अभिव्यक्ति के क्षमता मौजूद बा. कवनो तरह के राजकीय सहायता भा संरक्षण के अभाव का बावजूद भोजपुरी में साहित्य सृजन लगातार चल रहल बा. अकादमी के अध्यक्ष प्रो॰ रविकांत दूबे सम्मेलन के अध्यक्षता कइलें आ बतवले कि एह साल बाबू रघुवीर नारायण के “बटोहिया” के सौ साल पूरा हो रहल बा आ एह अवसर पर भोजपुरी अकादमी पूरा साल कार्यक्रम चलाई. सम्मेलन के संयोजक डा॰जितेन्द्र वर्मा रहलें.
एह कवि सम्मेलन में बेतिया से आइल मशहूर कवि डअ॰ गोरख मस्ताना आपन कविता सुना के सगरी भोजपुरियन के छाती चौड़ा करा दिहलन. कविता रहे, “भअषा भोजपुरी ला अर्पित उमरिया, पुरुबिया हईं ना हम हईं भोजपुरिया”. भोजपुरी के बूढ़ांठ कवि अक्षयवर दीक्षित एह मौका पर आपन कविता “जब अपने आपन ना होई त दोसर आपन का होई, जब दोसरे आपन बन जाई त अपने आपन ना होई” सुना के भोजपुरी के मौजूदा हालात के रेघरिया दिहलन. “हमरा साँझ नीक लागे, रउवा भोर ठीक लागे, एगो रास्ता निकाली कि दिन कट जाव” सुना के हास्य कवि पंडित रामेश्वर प्रसाद सभका के गुदगुदा गइलन. कवि सम्मेलन देर रात ले चलल.

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