भोजपुरी पत्रिका ‘सँझवत’ के आठवाँ अंक के लोकार्पण

भोजपुरी पत्रिका ‘सँझवत’ के आठवाँ अंक के लोकार्पण


आर्या एकेडमी, बक्सर में आज सनीचर के डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल द्वारा संपादित भोजपुरी पत्रिका ‘सँझवत’ के आठवाँ अंक के लोकार्पण कइल गइल.

एह अवसर पर भोजपुरी साहित्य मंडल, बक्सर के सचिव डॉ. अरुण मोहन ‘भारवि’ भोजपुरी पत्रकारिता का वर्तमान स्थिति में ‘सँझवत’ के महत्ता के प्रतिपादन करत संपादक डॉ. विमल का योगदान के सराहना कइले.

वरिष्ठ आलोचक विष्णुदेव तिवारी अपना वक्तव्य में कहले कि संवाद बेकार ना जाला अउर आज का एह सँझवत संवाद से भोजपुरी भाषा आ साहित्य के एगो नवीन ऊर्जा मिली. उनकर ई प्रस्ताव बहुत पसंद कइल गइल कि ‘सँझवत’ का हर अंक में बक्सर के कवनो एक साहित्यकार पर आलोचनात्मक लेख जरूर प्रकाशित कइल जाउ.

विशिष्ट वक्ता श्री भगवान पांडेय पत्रिका का कलेवर से कंटेंट तक के सराहना करत कहले कि सँझवत के ई आलोचना अंक निश्चित तौर पर एगो संग्रहणीय अंक बाटे. ई शोधार्थी लोगन खातिर संदर्भ ग्रंथो के काम करी.

लोकार्पण कार्यक्रम के अध्यक्षता करत डॉ. रामेश्वर प्रसाद वर्मा डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल का संपादन कला के खूब बड़ाई कइले अउर भोजपुरी पत्रिका सँझवत का नया संभावना पर प्रकाश डलले.

कार्यक्रम का अंत में डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल कवनो स्थिति में नियमित रूप से सँझवत पत्रिका का प्रकाशन के बिना कवनो रुकावट के जारी राखे के संकल्प दोहरवले आउर बक्सर का आत्मीय साहित्यिक परिवेश के प्रति आपन खुशी व्यक्त करत धन्यवाद ज्ञापन कइले.

एह अवसर पर शिव बहादुर पाण्डेय ‘प्रीतम’, शशि भूषण मिश्र, रामेश्वर नाथ मिश्र ‘विहान’, अतुल मोहन प्रसाद, उमेश पाठक ‘रवि’, कुशध्वज सिंह ‘मुन्ना’, नागेन्द्र उपाध्याय आदि लेखक लोग भी उपस्थित रहन आ आपन वक्तव्य दिहलन.

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