शिवरात्रि के त्यौहार

– अभयकृष्ण त्रिपाठी

आईल बाटे फिर से बाबा शिवरात्रि के त्यौहार,
भोले बाबा सुनी लिह बिनती हमार,
मत दीह केहु के भी कवनो उपहार,
भोले बाबा, भोले बाबा, भोले बाबा हमार II

पापियन के नाश के महिमा सुनाईले,
भस्मासुर के लीला भी भूले ना भुलाईले,
भरल बाटे एही गुणवा सबमे अपार,
मत दीह केहु के… II
भोले बाबा, भोले बाबा, भोले बाबा हमार II

कईसे सुनायी बाबा दिल के दरदिया,
कलयुग के मथनि से बस बहेला गरलिया,
फ़ोरत बाटे हर केहु मद में दूजा के कपार,
मत दीह केहु के… II
भोले बाबा, भोले बाबा, भोले बाबा हमार II

बा ड़ भोला नाथ जी बहुते उदार,
अरपन करत बानी बेल अउर मदार,
पी ल गरलिया सबकर होई बेड़ा पार,
मत दीह केहु के… II

आईल बाटे फिर से बाबा शिवरात्रि के त्यौहार,
भोले बाबा सुनी लिह बिनती हमार,
मत दीह केहु के भी कवनो उपहार,
भोले बाबा, भोले बाबा, भोले बाबा हमार II


अइसन करनी

अइसन करनी केकर होखी बहुत विचरलीं,
आइना देखवते जानवर ना इन्सान के पईलीं ई

हम कुछुओ लेके ना जाएब ई सबही गावत बा,
आपन जेब भरे खातिर दुसर जेब ही भावत बा,
अपना करनी से जानवर के भी सरमावत बा,
अपना जननी के सबका सामने जुतियावत बा,
असुरन के तांडव करत देख केशिये नोचलीं,
आइना देखवते जानवर…II

व्यभिचारी के भी मर्यादा रहे केहु नईखे जानत,
बचीयन के लुटला बिना दिल नईखे मानत,
लुटेरा बनला के बादो राजा जइसन मुस्कान बा,
साधू बनला के बाद खोलत राजनिती दुकान बा,
आनर किलिंग के बहाना बस इंसानियत कोंचलीं,
आइना देखवते जानवर…ई

अइसन करनी केकर होखी बहुत विचरलीं,
आइना देखवते जानवर ना इन्सान के पईलीं ई

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