सोचऽ आजादी पउलस के
  • रामजियावन दास बावला

देश भयल आजाद मगर रण कै बरबादी पउलस के,
सोचऽ आजादी पउलस के ?

के के आपन खून बहावल,
के आपन सर्वस्व लुटावल,
केकर लड़िका बनै कलक्टर ई ओस्तादी पउलस के,
सोचऽ आजादी पउलस के !

केकरे बदे किरिन मुसुकाइल,
धरती केकरे नाम लिखाइल,
के तरुनी सँग मउज उड़ावै, बुढ़िया दादी पउलस के,
सोचऽ आजादी पउलस के !

केकरे आह से परवत टूटल,
सिव ब्रम्हा के आसन छूटल,
के जोगी बन अलख जगवलस, पर-परसादी पउलस के,
सोचऽ आजादी पउलस के !

सक्ति दीन कै अबहीं बाय,
जवने से सुरपति डर खाय,
लोहे क बिटिया के ब्याहल, मगर दमादी पउलस के,
सोचऽ आजादी पउलस के !

(भोजपुरी दिशा-बोध के पत्रिका पाती से साभार)

0 Comments

Submit a Comment

🤖 अंजोरिया में ChatGPT के सहयोग

अंजोरिया पर कुछ तकनीकी, लेखन आ सुझाव में ChatGPT के मदद लिहल गइल बा – ई OpenAI के एगो उन्नत भाषा मॉडल ह, जवन विचार, अनुवाद, लेख-संरचना आ रचनात्मकता में मददगार साबित भइल बा।

🌐 ChatGPT से खुद बातचीत करीं – आ देखीं ई कइसे रउरो रचना में मदद कर सकेला।