भउजी हो !
– कइसन भउजी, केकर भउजी ?
बाप हो, आजु त अगिया बैताल बन गइल बाड़ू. माफ क द.
– बुझा गइल आपन गलती ?
हँ. बाकिर जवन भइल तवन मजबूरी में. फगुआ में ससुरारी चल गइल रहीं आ ओहिजा नेटवर्के ना रहुवे.
-ई बहानेबाजी चलेवाली नइखे. कतना दिन बाद आइल बानीं बा याद ?
हँ हो ढेर दिन त होइए गइल बा. बाकिर एगो बात हमहू पुछीं ?
– अब रउरा का पुछब ?
मान लिहनी कि हम याद ना कइनीं बाकिर एह बीच तू हमरा के कब याद कइलू ?
– याद त कई बेर कइनी, हँ फोन ना कइनी से मानतानी.
एही बात प एगो शायर लिख गइल बाड़न कि
तूझे गैरों से कब फुरसत, मैं अपने गम से कब खाली
चलो बस हो चुका मिलना, न तुम खाली न बम खाली.
– हँ ऐ शायर, चलीं चाय पियल जाव.
कवन चाय ? नमो वाला ?
– मार बहरनी रे. भउजाइओ से राजनीति ?
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