अंधेर नगरी माने बिजली के बिना शहर

jayanti-pandey

– जयंती पांडेय

रामचेला लइकन के बतावत रहले कि अंधेर नगरी के माने का होला. ओकरा खातिर जरूरत होला चौपट राजा के. बिना चौपट राजा के अंधेर नगरी होइये ना सके. तले बाबा लस्टमानंद कहले हो राम चेला ई कहानी सब पुरान जमाना के ह आ आजुकाल्हु एकर माने होला ऊ नगर जहां बिजली ना होखो त बिल्कुल अन्हार रही. अइसन अन्हारो के बड़ा फायदा बा.

बाबा लइकन से पूछले कि बतावऽ लोग त शहर में खास क के बड़का शहरन में चौबीसों घंटा बिजली ना रहला के कवन फायदा बा. लइका का बतावऽ सन. बाबा कहले, बिजली ना रहला से कवनो काम राति में त हो ना सके आ सांझे से लोग अपना-अपना घरन के छत पर बइठ के भजन कीर्तन में लाग जाला. काहे कि उहे एगो काम बा जे बिना बिजली के एगो दिया जरा के हो सकेला. जब भजन कीर्तन के ज्यादा जोर होई त लोग फिल्मी गानो के तर्ज पर भजन तइयार करे लागी. अतने ना ओकरा अन्हार में आंखि मूंद के गाये लागी. बिजली ना रहि के सदाचार के ले अइलस. जेकरा बाहर कवनो काम नइखे उ घर में चैन से ना रहि सके बिजली के बिना. आ टाइम काटे खातिर रामायण आ तरह तरह के पुराण जोहि जोहि के पढ़ि. काहे कि रात में छत पर भजन में ज्ञान बघारे में समय लागी. एह से बूझि जा कि गायब संस्कृति बिजली ना रहला से लवटि आइल. लोग के धरम करम में मन लागे लागल.

अतने ना, जबसे बिजली आ धर्म के ठाट लागल तबसे मय बुढ़िया कुल्ही जा के पांच मिनट में पूजा क के घंटा भर बइठ के पतोहियन के शिकायत करत रहली सन. अब त पूजा एक मिनट में हो जाला आ ओकरा बाद सब बुढ़िया घर लवट जा तारी सन. ओने माटरन पतासिया कुल्ही जे एयर कंडीशंड रेस्टोरेंट में जमा हो के सासु के पचड़ा गाव सन ओकनियो के अब बाहर नइखी सन निकलत, काहे कि रेस्टोरेंट में बिजली ना रहला से जेनरेटर से त ए सी चली ना. त सास आ पतोह दुनू घर में रहऽ तारी सन आ एह से दूनु जानी में दोस्ती हो जाता. यानी बिजली ना रही के समाज के टूटे से बचावऽ ता. ई बहु लोग एसी मॉल में जात रहे आ उहां चोर उचक्का पाकिट मार लेत रहे. अब ई लोग जात नइखे त पाकिटमारीओ नईखे होत आ पाकिटमार बेकारी से तंग आ के कीर्तन करऽ तारे सन. माने कि अंधेर नगरी में राज भले चौपट बा लेकिन जनता में सदाचार व्याप्त हो गइल बा.


जयंती पांडेय दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. हईं आ कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार में भोजपुरी व्यंग्य स्तंभ “लस्टम पस्टम” के नियमित लेखिका हईं. एकरा अलावे कई गो दोसरो पत्र-पत्रिकायन में हिंदी भा अंग्रेजी में आलेख प्रकाशित होत रहेला. बिहार के सिवान जिला के खुदरा गांव के बहू जयंती आजुकाल्हु कोलकाता में रहीलें.

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