गरीबी के नया रेखा – टमाटर रेखा

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– जयंती पांडेय

रामचेला बजार से अइले आ टमाटर के भाव बाबा लस्टमानंद के बता के ओहिजे थहरा के बइठ गइले. बाबा उनकर हाल देखि के लगले चिलाये. लोग आ गइल. सब लोग हरान कि का भइल बेचारा रामचेला के. बाबा अतने बतावस कि टमाटर के भाव बता के नर्भसा गइले रामचेला. सांचो बड़ा चिंता के बात रहे. लोग पानी छींटल उनका मुंह पर. जब तनी ठीक भइले त लोग पूछल कि भइल का रहे.

रामचेला कहले, बात ई रहे कि बजारि पर टमाटर के भाव पूछनी आ तले अखबार पर नजर गइल कि ‘सरकार के कहनाम ह कि गरीब लोग टमाटर खइबे ना करे.’ ओहिजा से चलनी त बूझात रहे कि मात गइल बानी आ आके गिर गइनी.

बात त सांचो चिंता के रहे. जब तनी शांति भइल त बाबा लस्टमानंद सोचले कि काहे ना एगो चिठी सरकार के लिखल जाउ. ऊ लिखे बइठले. जब जोग सिरी लिखले तब बूझाइल कि देरी हो गइल बा ई त पहिलहीं लिखे के चाहत रहे. पहिले नेताजी के धन्यवाद दिहले ऊ गरीबी के एगो नाया रेखा खींच देहल – टमाटर रेख. हँ, टमाटर रेखा काहे कि नेताजी कहले कि ‘गरीब आदमी त टमाटर खइबे ना करे, हमेशा उहे खाला जेकर गाल लाल बा.’ गरीबी के परिभाषा एकरा पहिले मनमोहनो काका देवे के दू हाली कोशिश कइले लेकिन हार के पतरका गली से सरक लिहले. ई त मोदी भाई के जस लिखल रहे परिभाषा देवे के. अरे कुर्सी के त माया होखबे करेला. एकदम सठियाइल दिमाग में ई अंजोर क देले. पछिलका सरकार के एगो मंत्री जी कहले रहले कि पांच रुपिया में एक आदमी एक बेरा खा सकेला. जब ऊ ई बतिया कहत रहले त ओह समय पांच रुपिया से दू सौगुणा बेसी दाम के बोतल से आचमन करत रहले. ओहि सरकार के मंत्री रहले पवार साहेब. अब ऊ कहले कि चीनी के भाव बढ़ गइल ठीके भइल, लोग ना चीनी खाई ना चीनी के बेमारी होई. वाह कतना बढ़िया समाधान बा. सड़क तुर द एक्सीडेंट ना होई, बिजली बंद क द लाईन कटला के झंझटे ओरा जाई. हमार राय बा सरकार के कि ऊ गरीबी हटावे जवन योजना बनावल जा त ओह में इहो शामिल क लिहल जाउ कि एक गरीब के एक टमाटर हफ्ता में दियाई. बस जब गरीब टमाटर खाये लागी त गरीबी अपने दूर हो जाई. लेकिन एहू में एगो प्राब्लम बा. जे गरीब लोग के लाल टमाटर से जोड़ल जाई त ऊ कम्युनिस्ट भाई लोग के लाल सलाम के का होई. इहे ना इनकमो टैक्स वाला लोग के समस्या होई कि के केतना टमाटर खा ता ओकर रिटर्न में कवनो जिक्र काहे नइखे. अतने ना जब लोग नेता लोग के टमाटर बिग के मारी त ओकरा का बूझल जाई?


जयंती पांडेय दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. हईं आ कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार में भोजपुरी व्यंग्य स्तंभ “लस्टम पस्टम” के नियमित लेखिका हईं. एकरा अलावे कई गो दोसरो पत्र-पत्रिकायन में हिंदी भा अंग्रेजी में आलेख प्रकाशित होत रहेला. बिहार के सिवान जिला के खुदरा गांव के बहू जयंती आजुकाल्हु कोलकाता में रहीलें.

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