जातिये पुछाई कि बायनो बँटाई

जातिये पुछाई कि बायनो बँटाई

– रामसागर सिंह


जातिये पुछाई कि बायनो बँटाई ?
बोलीं सरकार अब का का भेंटाई ?

अरे बात कब होई जी शिक्षा सुधार के ?
बात कब होई रोजी रोजगार के ?
बात कब होई बढ़ल भ्रष्टाचार के ?
आ कि रहल जाई बस असहीं मन मार के ?
सुनीं ना साहेब तनी इहो बताईं
जातिये पुछाई कि बायनो बँटाई ?
बोलीं सरकार अब का का भेंटाई ?

बात कब करब बढ़त अपराध के ?
बात कब करब जोतल उत्पाद के ?
कब ले रहब जी रउओ दम साध के ?
आ कि रउरो हो गईनी संघतिया व्याध के ?
तनिका सा एहू से परदा हटाईं
जातिये पुछाई कि बायनो बँटाई ?
बोलीं सरकार अब का का भेंटाई ?

अपना करेजा के दूर देश भेज के
रहत बा बाप माई केतना अंगेज के.
पियवा के प्यार के मेहरी सहेज के
अपने जनलकन के सुनी गुरेज के ?
मोबइलवे पर कहिया ले पापा बताई ?
अरे जातिये पुछाई कि बायनो बँटाई ?
बोलीं सरकार अब का का भेंटाई ?

गिन लीं ना साहेब हर एक मूड़ी
चुन लीं ना आपन लगा के कूड़ी.
कि राउर एमें के ह ?
के खाई लावा आ के खाई ठूढ़ी ?
बाकी का घेंटी पर फेरब का छूरी ?
के रही भूखे आ के जइहें अघाई ?
जातिये पुछाई कि बायनो बँटाई ?
बोलीं सरकार अब का का भेंटाई ?

कोंहरत बा रोगी आ डॉक्टर फरार बा,
रोगी के छोड़ीं असपतलवे बेमार बा.
भवगर इलाज बिना सभे लाचार बा
कहाँ बा दवाई जवना के दरकार बा ?
बाँची मरीज कि पचाठी पर जाई ?
जातिये पुछाई कि बायनो बँटाई ?
बोलीं सरकार अब का का भेंटाई ?

गिन लिंही गिनल जब होखे रसायन
गिनले से लोग होखे शिक्षा परायण.
मिले रोजगार आ रुके पलायन,
आ कि झूठहूं लिखाएब एगो नयका रमायन ?
रामसागर के तनिका इहो समुझाएब,
जातिये पुछाई कि बायनो बँटाई ?
बोलीं सरकार अब का का भेंटाई ?

काल्हु जब मोदी सरकार घोषणा कइलसि कि अगिला जनगणना में जातियो के गिनती करावल जाई त हो सकेला कि रउरा बुझाए कि ई कविता टटका ह. बाकिर ई कविता दू साल पुरान ह. साल 2023 में लिखले रहलन कवि रामसागर सिंह. रउरा एह कविता के उनुका फेसबुको पर सुन सकींले –

 

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