बजलऽ ए शंख बाकिर ….
…बाबाजी के पदा के! सतरह दिन के बनवास का बाद राउर अँजोरिया फेर अपना पुरनके अँगना में मौजूद हो गइल बिया. एह बीचे कतना परिश्रम कतना परेशानी भइल, से मत पूछीं. बस अतने जान ली कि एगो बियाबान में एगो लड़िका रास्ता भुला गइल रहुवे...
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