Category: भाषा

बतकुच्चन – ३५

बाँझ का जनिहें प्रसवती के पीड़ा ? बच्चा जने में होखे वाला दरद ओही औरत के समुझ में आ सकेला जे कबो खुद बच्चा जनले होखे. बूझेले चिलम जिनका पर चढ़ेला अँगारी. जे हालात के गरमी झेलेला ओकरे ओकर पीड़ा बुझाला. भोजपुरी के ई दुनु कहाउत आजु एह...

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बतकुच्चन – ३४

आजु जब लिखे बइठल बानी त छठ व्रत के परसाद सामने आ खरना शब्द दिमाग में बा. खरना मतलब खरो ना, कवनो तिनको ना. अइसन उपवास. बाकिर खर दुष्टो के कहल जाला. आ आखर कहल जाला उबड़ खाबड़ भा रगड़त चीझ के. अब सोचीं कि खर, खरना, आखर में कवन संबंध...

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बतकुच्चन – ३३

बोले वाला बोलता आ चुप रहे वाला चुप्पा कहाला. बाकिर चुप्पा अतना आसान ना होले. कई बेर त ऊ चुप्पा शैतान होला. ढेला मार के निर्दोस जइसन चुप्पा मार के बइठल शैतान पर जल्दी केहू शको ना करे आ उ भितरे भीतर मुसुकात सब कुछ देखत रहेला....

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बतकुच्चन – ३२

एने कई दिन से अपना बिधुनाइल मन का चलते कुछ लिख ना पवले रहीं बाकिर काल्हु जब एक आदमी के धुनाइल देखनी त बतबनवा मन में बतकूच्चन होखे लागल. याद आवे लागल कुछ भोजपुरी कहाउत. बाते से आदमी पान खाला आ बाते से लात. एगो दोसर कहाउत ह बड़ जीव...

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बतकुच्चन – ३१

आजु जब बतकुच्चन लिखे बइठनी त सोचले रहीं कि आजु तेहो आ तेहा वाली बाति के तहियाएब जहाँ पिछला हफ्ता छोड़ले रहनी. तले चालू टीवी से कान में आवाज आइल कुछ तेहो लोग के, जे एह बाति पर तेहाइल बा कि देश में दोसरा केहू के महात्मा काहे कहल जा...

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