बतकुच्चन – ८
पिछला हफ्ता के तिकवत तिवई का बाद आजु सोचत बानी कि अकसर आ अकसरुआ के बाति कर लीं. अब अकसरुआ त उहे नू कहाई जे अकसर होखे. बाकिर अकसर त ओकरो के कहल जाला जवन आये दिन होत रहे, बार बार होत रहे. एगो दोसर अकसर ऊ होला से अपना अपना घर के...
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