Category: उपन्यास

लोक कवि अब गाते नहीं – ११

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) दसवीं कड़ी में रउरा पढ़ले रहीं सम्मान मिलला बाद अपना गाँवे चहुँपल लोक कवि के एगो पंडित के कहल नचनिया पदनिया के बात कतना खराब लागल रहे. बाकिर चेयरमैन साहब का...

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लोक कवि अब गाते नहीं – १०

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) नवीं कड़ी में रउरा पढ़ले रहीं सावन का बरखा में राधा में मोहन के रसे रसे बरसल. फेर राधा रुपी धाना के बिआह आन गाँवे होखल, मोहन के अपना गवनई का चलते धीरे धीरे नाम...

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लोक कवि अब गाते नहीं – ९

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) आठवीं कड़ी में रउरा पढ़ले रहीं कि सम्मानित भइला का बाद जब लोक कवि अपना गाँवे अइलन त उनुकरा स्वागत में लागल औरतन में उनुकर बालसखी राधो रहली. जेकर असल नाम त रहे...

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लोक कवि अब गाते नहीं – ८

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) सातवाँ कड़ी में रउरा पढ़ले रहीं कि पत्रकार के नाराजगी का बादो लोक कवि के सम्मान मिलल आ सम्मानित होखला का बाद ऊ अपना गाँवे चहुँपलन. चेयरमैनो साहब उनुका साथही रहलन...

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लोक कवि अब गाते नहीं – ७

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) छठवाँ कड़ी में रउरा लोक कवि के सम्मान खातिर तिकड़म भिड़ावत पत्रकार का बारे में पढ़ले रहीं जे ओकरा बदले में अपना खातिर लोककवि से उनुका ग्रुप के एगो लड़की के डिमाण्ड...

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