Category: उपन्यास

बनचरी (दुसरकी कड़ी)

– डा॰ अशोक द्विवेदी भयावह आ भकसावन लागे वाला ऊ बन सँचहूँ रहस्यमय लागत रहे. जब-तब उहाँ ठहरल अथाह सन्नााटा अनचीन्ह अदृश्य जीव जन्तु भा पक्षियन का फड़फड़ाहट से टूट जात रहे. थोरिके देर पहिले फेड़ का एगो लटकल डाढ़ि से लपटाइल लटकल...

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बनचरी (पहिला कड़ी)

– डा॰ अशोक द्विवेदी गंगा नदी पार होत-होत अँजोरिया रात अधिया गइल रहे. दुख आ पीरा क भाव अबले ओ लोगन का चेहरा प’ साफ-साफ देखल जा सकत रहे. छछात मृत्यु का सामने से, सुरक्षित लवटि आइल साधारन बात ना रहे. संजोग अच्छा रहे कि असमय आ...

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बनचरी : भोजपुरी में कालजयी उपन्यास

दुर्गम बन पहाड़न का ऊँच-खाल में जिए वाला आदिवासी समाज के सहजता, खुलापन आ बेलाग बेवहार के गँवारू, जंगलीपना भा असभ्यता मानेवाला सभ्य-शिक्षित समृद्ध समाज ओहके शुरुवे से बरोबरी के दरजा ना दिहलस. समय परला पर ओकर उपयोग जरूर कइलस. खुद...

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लोक कवि अब गाते नहीं – आखिरी कड़ी

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) बीसवाँ कड़ी में भोजपुरी के दुर्दशा पर लोक कवि के दुख पढ़ले रहीं अब पढ़ीं एह उपन्यास के आखिरी कड़ी ….. अबहीं ठीक से भोर भइलो ना रहल कि लोककवि के फोन के घंटी...

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लोक कवि अब गाते नहीं – २०

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) अनइसवाँ कड़ी में वकील साहब का फेर मे फँसल ठकुराइन आ धारा ६०४ वाला किस्सा पढ़ले रहीं. अब ओकरा आगा पढ़ीं….. आ अब एही वर्मा वकील के बेटा अनूप लोक कवि के वीडियो...

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